April 2023_DA | Page 20

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समाज के संरचनात्मक पक्षों को निर्धारित करता है धर्म : डा . अम्ेडकर

डा . कृष्ण गोपाल

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पनी विलक्ण क्मताओं के आधार पर एक विशिषट ्र्र बना चुके डा . भीमराव अमबेडकर का जीवन अनेक प्रकार की विविधिताओं से परिपूर्ण है । उनकी सर्वाधिक खय्वत एक संविधान निर्माता तथा समाज के उपेवक्त और वंचित वर्ग के अधिकारों की रक्् हेतु संघर्षरत योद्धा के रूप में ही अधिक है । उनके जीवन के ये दोनों ही आयाम महतिपूर्ण हैं किनतु , आ्चयना की बात यह है कि उनके जीवन और कार्य के अनेक महतिपूर्ण आयाम और भी हैं , जिनके बारे में अधययन , चिनतर तथा वि्लेषण आि्यकतानुरूप नहीं हो पाया है ।
विलक्षण क्षमता और प्रतिभा
एक बात हम सभी को सदैव धय्र में रखनी होगी कि अति सामानय परिवार में जनमे डा . भीमराव अमबेडकर , सभी प्रकार के अभाव , उपेक्् , अपमान एवं तिर्क्र सहते हुए अपनी विलक्ण क्मताओं और प्रतिभा के बल पर आज एक महतिपूर्ण ्र्र पर विराजमान हैं । उनकी प्रतिभा को देश ने ्िीकार किया था । इसी के फल्िरूप , वे संविधान निर्मात्री सभा के सद्य बने । उनके मन में यह लक्य था कि देश में अ्पृ्य बनधुओं को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने का प्रयास करूंगा । उनको आ्चयना तो तब हुआ जब उनहें संविधान प्रारूप समिति का सद्य बनाया गया , और जब उनहें इस प्रारूप समिति का अधयक् बनाया गया तब तो उनके आ्चयना की सीमा नहीं रही । उनको ्िप्न में भी यह कलपर् नहीं थी कि एक ऐसी सभा ( संविधान सभा ), जिसमें अधिकांश सद्य तथाकथित उच्
जातियों के थे , मिलकर उन जैसे एक अ्पृ्य वयस्त को प्रारूप समिति का अधयक् भी बना सकते हैं । हम यहां विचार करेंगे कि डा . अमबेडकर का समाज सुधारक के रूप में मौलिक ्िरूप कैसा है ?
हम जानते हैं कि विगत दो हजार िषयों की वय्पक राजनीतिक एवं सामाजिक उथल-पुथल
ने कुछ विचित्र परिस्रवतयां खड़ी कीं और समाज में अनेक प्रकार के विभेद उतपन्न हो गये थे । इस दृसषट से वय्पक समाज सुधारों की आि्यकता थी । इस आि्यकता के अनुरूप ही डा . अमबेडकर एक समाज सुधारक थे तथा युगानुककूल सामाजिक वयि्र्ओं की पुर्र्थापना के वे पुरोधा थे । सदियों से वंचित ,
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