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न थ भी उनके प स आ कर खडे हो गए “कैस क यश आच यश ??” “यह स क छ ही द र दक्षक्षण क र ज एक यज्ञ करने व ल है …’अश्वमेध’ ” आच यश न थ की तरफ म डे ” 101 अश्वो की बली दी ज एगी” न थ के हव मे लहर ते लम्ब ब ल उसकी आाँखों को छ रहे थे जो की अब आश्चयश से द ग नी हो गई, तयो की न थ एक एसे व त वरण मे बड ह आ जह शसफश पश ओुं से प्रेम ककय ज त थ , वो क छ कहत उसे रोकते ह ए आच यश बोल “उसे रोकन बहोत म क्श्कल है .. पर शसफश त म ये कर सकते हो…. अपने वपत के क बबल बनने क मोक ह त म्ह रे प स…अपने पूव ज ों द्व र श रू ककए इस अशभय न को आगे बढ ओ ” न थ के प स कहने को कोई शब्द नहीुं बचे थे , आच यश उसकी चमकती न रुं गी आखो मे दे खते रहे , और क छ ही क्षण मे स रज पवशतों के वपछे छछप गय … उस र त न थ को नीुंद नहीुं आई, आच यश ने उसके मन मे आत्मववश्व स क बबज बो ठदय थ , वो अपन वपत के स हस के ककस्से स नकर बड ह आ थ लेककन अब वो ख द वो सब करन च हत थ । वो च हे य न च हे कल उसकी पदवी तो छनक्श्चत थी लेककन अब उसे ख द को स बबत करन थ की वो अपन वपत के क बबल ह स बह होने से पेहले ही वो अपने वप्रय स र बेल “वरसभ” पर बैि छनकल पड दक्षक्षण की ओर … लम्बी द र ू ी तय करने के ब द वो दक्षक्षण मे पह ाँ च गय …. उसन ववश ल तर से ह ए ककले मे प्रवेश ककय । नगर व सी ककले मे बने मैद न मे इकट्ठे हो रहे थे … मैद न के बबचो बबच यज्ञ क मण्डप बन ह आ थ .. सभी पक्ण्डतो ने मुंत्रो क ज प श रु कर ठदय , आझखर दक्षक्षण के र ज ने मैद न मे प्रवेश ककय और उनके वपछे सेकडो सैछनक रस्सीयो से बुंधे घोडो को खीच रहे थ घोडो को बबच मैद न मे ल य गय , मुंत्रो की स्व ह -स्व ह की ध्वछन च रो ओर ग ुंजने लगी । पक्ण्डत के कहने पर र ज खडे ह ए ओर एक स ुंदर सफेद घोडो को आगे ल य गय , पक्ण्डत ने घोडो के मक्स्तष्क पर छतलक लग य और र ज को सोने की तलव र थम ठ द । रक्स्सयों से बुंध घोड अपने आप को आज द करने की क फी कोशशश कर रह थ , र ज ने घोडे की गदश न पर व र करने के शलए तलव र उि ई और तभी क नो को भेदती तेज आव ज आई “रुक ज ओ र ज ” … सभी की नजर स र बेल पर बैिे न थ पर पडी , “एक नील म नव ???” ” यह नील म नव” सभी के म ह स यही शब्द छनकल रहे थे आझखर स लो ब द उन्होंने ककसी नील म नव को दे ख थ … न थ अपने स र बेल से उतर गए और र ज की तरफ बढ । “इन्हें छोड दो र जन” र ज को ये द स्स हस बद शश्त नहीुं ह आ और अपनी सोने की तलव र न थ की तरफ उि ई , “चले ज ओ यह से ” न थ ने घोडो की आखो मे ग रते ह ए दे ख और वपछे म ड गए , घोडे तो जैसे प गल हो गए …उनक बल सो ग न बढ गय और सैछनको को अपनी ल तो से द र फेक ठदय और स री रक्स्सय तोड कर भ गने लग ।