न थ ने झकते ह ए आच यश को प्रण म ककय“ मेने सन आज तम अपने वपत की जगह लेने व ले हो” आच यश ने पछ“ वो एक मह न परुष थे, मे अभी इस ल यक नहीुं ह” न थ ने कह” आज इतन बड उत्सव तम्ह री पदवी के शलए ही रख है”“ तो तय आप भी उत्सव मे श शमल होने आए हैं??”“ ह ह ह.. चलो अन्दर चलते है” आच यश ने कह और महल की ओर चल पडे न थ के वपत नीले पवशतो के आझखरी अचधपती थे, उनके ब द अब न थ की ब री थी, लेककन अभी न थ स्वयुं को इस क बबल नहीुं समझत थ । स रे ररश्तेद र और नगर के बडे लोग न थ को पदवी स्वीक र करने के शलए कह रहे थे लेककन न थ एस नहीुं च हत थ, न थ ने अपने सर बेल की पीि थपथप ई और आच यश के स थ चल ठदय । नीले पवशत के बबच बस ये नगर हर तरह के ज नवरो से भर पड थ, चूहे से लेकर ह थी तक । आज पर ठदन नगर मे उत्सव मन य गय लेककन न थ इसमे श शमल नहीुं ह ए, श म के समय न थ दर नीले पवशत एक आर मद यक स्थ न पर अपने सर बेल के स थ बैिे थे, ड बते सूरज की रोशनी से आक श न रुंगी हो चक थ, बची क ची ककरणे वपछे नगर मे महल पर पड रही थी लेककन न थ की नजर एक भी ब र महल पर नहीुं पडी । आच यश न थ को ढूुंढते- ढूुंढते वह पह ुंचे“ तो तम यह ाँ हो …” न थ ने उन्हें प्रण म करते ह ए उिन च ह,“ बेिो बैिो” आच यश ने कह और वे भी वही बैि गए“ आप यह कै से आए”“ 30 स ल पेहले जब मे आय थ, तम्ह रे वपत मझे यह ल ए थे”“ मझे लगत है नगर मे चल रह उत्सव ज द मनोरुंजक होग” न थ ने कह“ बच्चे मे यह इस उत्सव मे श शमल होने नही आय” आच यश ने कह न थ ने बन वटी मस्क न देते ह ए आच यश की ब त को खत्म करन च ह, लेककन आच यश के मन मे क छ ओर ही थ ।“ तम्हे पत है तम्ह रे वपत भी एक सर बेल से बहोत प्य र करते थे” न थ ने आश्चयशपूणश नजरों से आच यश को देख,“ तय सचमच??”“ तम्ह री उम्र मे वे बबल्क ल तम जैसे ठदखते थे ….” आच यश ने कह“ अगर तम अपने वपत के क बबल बनन च हते हो तो तम्हें उनके आदशों क प लन करन होग”“ कै से आदशश … आच यश?”“ तम्ह रे वपत सभी पशओ से अत्युंत प्रेम करते थे … जब वो थे तब ककसी की ठहम्मत नहीुं होती थी कक वो पशओुं को म रे” पशओुं से लग व तो मझे भी है” न थ ने कह“ इसीशलए मे यह आय हूाँ, तम मे तम्ह रे वपत की छवव ठदखती है … तम ही मेर क यश कर सकते हो” आच यश उिकर दो कदम आगे बढ़ गए, पवशत की चोटी के ककन रे पर खडे रहकर अपने ह थ कमर पर ब ाँध शलए, ड बत सरज उनकी आाँखो मे ठदख रह थ ।