101घोडो के मजबूत ख रो से यज्ञ क मण्डप तहस नहस हो गय , र ज की आखो के स मने स रे घोडे दोडत
ह ए ककले से ब हर चले गए । न थ अपने स र बेल के प स पह ुं चे , ग स्से से जल्ल य ह ए र ज न
ककले के
दरव जे को बुंद करने क आदे श ठदय ।
न थ ने अपने स र बेल की पीि थपथप ई और र ज की तरफ बढने लगे ,
दरव जे की तरफ दोड पड और
सीुंगो से ककले के मजबूत दरव ज
स र बेल अपने शसर को ज क ते ह ए
चकन च र ू कर ठदए और व पस न थ के प स
आ गय । र ज ने अपने सबसे त कतवर योद्ध ओ को न थ से लडने भेज , लेककन न थ के शसफश एक प्रह र स
वो द र कोने मे ज चगरे । र ज क कोई भी सेछनक लडने के शलए तैय र नहीुं थ , र ज के प स घ टने टे कने के
अल व कोई च र नहीुं बच ।
न थ वरसभ
पर सव र हो गए , स र बेल की गरजद र ह ुं क र से ककले की ठदव रे क प उिी …
न थ यज्ञ के स रे घोडो के स थ
पीछ
नीले पवशतों की ओर बढ गए , वरसभ पर बैिे न थ आगे चल रहे थे और
101 घोडे उनकी सेन की तरह चल रहे थे … न थ ने घोडो के स थ नगर मे प्रवेश ककय , नीले पवशतों पर
प्रछतक्ष कर रहे सभी लोग ये नज र दे ख कर दुं ग रह गए ।
सभी ने न थ क श नद र स्व गत ककय ।
आझखर 30 स लो ब द ककसी ने वो कर ठदख य क्जसके शलए हर नील म नव क जन्म ह आ थ , अब न थ
सम्म न और आत्मववश्व स के स थ वपत क स्थ न ले सकते थे ।
और म त् ृ य के म ख मे ज नेव ले 101 घोडो को एक सम्म न की
क्जन्दगी शमल गई ।
न थ ने आच यश के पेर छ ए और अपने वपत क स्थ न ग्रहण ककय ।
इसी के स थ नीले पवशतों और सम्पूणश पश ओुं के नए अचधपछत के जयक रे लग ए गए ।
उस ठदन आच यश “स्थ लभद्र” ने उन्हें न म ठदय , सभी पश ओ
के रक्षक “पश पछत-न थ” .. ।।।।।।