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बहतुत धैर्यपू्व्सक निर्णय लेते हैं और छकोटे से छकोटे वयपक्त के रतुझा्व कको गतुण्वत्ा के आधार पर महत्व देते हैं वयपक्त के आधार पर नहीं देते । ये कह देना कि ्वको निर्णय थकोपने ्वाले नेता हैं , ये ज़रा भी सच नहीं है और जिन जिन िकोगों ने उनके साथ काम किया है और काम करने ्वालों
में भी critic हकोते हैं और ्वको भी इतना ज़रूर कहेंगे कि इतने democratic तरीके से कैबिनेट कभी नहीं चलती हकोगी जितने डेमकोकेतटक तरीके से मकोदी जी के प्िानमंत्री हकोने के नाते चलती है । ्वको discipline के आग्ही हैं , जिस रकोरम में जको डिसकशन हकोता है ्वको बाहर नहीं आएगा …
एक ज़माने में आ जाता था , सब आप िकोगों के उपयकोग के लिए … अब नहीं आता है । बहतुत कम आता है … तको िकोगों कको लगता है कि फैसला मकोदीजी ने ले लिया … िकोगों कको मालूम नहीं है ... जनता कको भी मालूम नहीं है । जर्नलिसटों कको भी मालूम नहीं है कि यह सामूहिक चिंतन का
uoacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 9