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उत्राखंड में दलित मुख्यमंत्ी का शगूफा

सवालों के घेरे में कांग्ेस की कू टनीति देवभूमि में दलित कार्ड के भरोसे कांग्ेस ?

दलित आंदोलन पवत्का ब्यूरो

श भर में दलित एजेंडा सेट करने ns

और खतुद कको दलितों के हितों का
सबसे सं्वेदनशील संरक्क साबित करने में जी — जान से जतुटी कांग्ेर के लिए दलित राजनीति की अगली प्यकोगशाला क्या दे्वभूमि उत्राखंड हकोगी ? सियासी गलियारों में रतुगबतुगा रहे इस र्वाल की अहमियत इसलिए भी बहतुत अधिक बढ़ जाती है क्योंकि कांग्ेर के अंदर से ही यह र्वाल खड़ा करने की पहल हतुई है । रा्ट्ीय राजनीति में कांग्ेर का बड़ा चेहरा माने जाने्वाले उत्राखंड के पू्व्स मतुखयमंत्री हरीश रा्वत के उस बयान ने इस र्वाल कको सतह पर ला दिया है जिसमें उनहोंने सा्व्सजनिक तौर पर कहा है कि ्वह उत्राखंड में भी दलित मतुखयमंत्री देखना चाहते हैं । ऐसे में बड़ा र्वाल यह है कि रा्वत कको आगे करके दलितों कको ितुभाने और उनकी सं्वेदना ्व महत्वाकांक्ा कको रतुिगाकर कांग्ेर की ककोतशश दलित समाज कको झांसा देकर अपना राजनीतिक उलिू सीधा करने की है या फिर ्वाकई ्वह पंजाब के साथ ही उत्राखंड कको भी अपनी दलित राजनीति की प्यकोगशाला बनाने कको लेकर ्वास्तव में गंभीर है । फिलहाल तको रा्वत के बयान कको शगूफा ही कहा जा सकता है क्योंकि दलितों के हित में दे्वभूमि में कांग्ेर ने औपचारिक तौर पर ककोई
घकोरणा नहीं की है । लिहाजा अब र्वाल दलितों के प्ति कांग्ेर की ईमानदारी पर भी है क्या कांग्ेर पंजाब की तरह उत्राखंड में भी किसी दलित नेता कको मतुखयमंत्री का उममीद्वार घकोतरत कर सकती है ? यह ्वादा क्या करके चतुना्व मैदान में जा सकती है कि सत्ा में आने पर ्वह दलित नेता कको ही मतुखयमंत्री बनाएगी ?
रावत की सलाह में दम या दिखावा ?
इस र्वाल की अहमियत इसलिए जयादा है , क्योंकि यह कहीं बाहर से नहीं बपलक कांग्ेर के अंदर से ही खड़ा हतुआ है । इसमें दम से जयादा दिखा्वा हकोने की आशंका इसलिए हको रही है क्योंकि दे्वभूमि कको दलित मतुखयमंत्री देने का शगूफा उन हरीश रा्वत के जरिेये छोड़ा गया है जिनकको कांग्ेर के सत्ा में आने पर मतुखयमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत दा्वेदार समझा जा रहा है । एक संयकोग यह भी है कि पंजाब का प्भारी हकोने के नाते दलित नेता चरणजीत सिंह चन्ी कको ्वहां का मतुखयमंत्री चतुनने के सियासी नफा-नतुकसान के आकलन में उनकी बराबर भागीदारी भी रही है । उनहोंने कहा है कि ्वह उत्राखंड में भी दलित मतुखयमंत्री देखना चाहते हैं । उनकी यह बात भी बहतुत ही अर्थपूर्ण है कि ' दलित ्वग्स कितना हमारे साथ है , यह महत्वपूर्ण
नहीं है । महत्वपूर्ण यह है कि उनहोंने कितने वर्षों तक कांग्ेर कको सहारा देकर केंद्र और राजयों में सत्ा में पहतुंचाने का काम किया । हम प्तिदान देंगे ।' इस बयान से भी जयादा महत्वपूर्ण घटनाकम यह है कि कांग्ेर की ओर से यह दर्शाने की ककोतशश की जा रही है मानको संगठन में अंदरखाने रा्वत की सलाह पर गंभीरता से
26 दलित आं दोलन पत्रिका uoacj 2021