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जबकि साल 2021 के फाइनल आंकड़े आना बाकी है । भले ही इस साल के अंतिम आंकड़े अभी नहीं आए हों लेकिन अभी तक यह आंकड़ा 7346 के पार पहतुंच गया है ।
जवाबदेही से बचने की जुगत
सामाजिक संगठनों में नाराजगी है कि साल में दको बार अपेतक्त सरकार के सटेट ले्वि त्वतजिेंस ए्वं मरॉतनटरिंग कमिटी बैठक इस सरकार में सिर्फ एक बार हतुई है । सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पहली बैठक जन्वरी में और दूसरी बैठक जतुिाई में हकोनी
समाज की पसथति पर त्वचार त्वमर्श करके उनकी रतुि ली जाती । लेकिन ऐसा हकोने पर ज्वाबदेही भी तय हकोगी और प्देश की मौजूदा जमीनी पसथति कको लेकर उसकी फजीहत भी हकोगी । लिहाजा इस सबसे बचने के लिए सरकार ने बैठक आयकोतजत कराना ही बंद कर दिया है । सामाजिक संगठनों का कहना है कि प्देश की गहिकोत सरकार के कार्यकाल में दलितों कको जिन दतुभा्सगयपूर्ण पसथतियों का सामना करना पड़ रहा है उससे समबंतित कितने मतुकदमें दर्ज हको पा रहे है ्वह एक अलग त्वरय है लेकिन जितने मामले दर्ज करने पड़े हैं उन आंकड़ों पर ही गौर किया जाए तको पसथति की गंभीरता
यहां संखया 2019 से 16.33 प्तिशत अधिक है । यानी हतया जैसा जघनय अपराध बढ़ा है । इनमें से भी महज 8 मामलों में पतुतिस ने फाइनल रिपकोटटि लगाई है । 30 मामलों में चालान पेश किए गए हैं , जबकि 19 मामलों की जांच अब भी बाकी है । पिछले 9 महीनों के आंकड़ों के बात करें तको प्देश में अनतुरूचित जाति अतयाचर के कुल 5740 मामले दर्ज किए गए । इनमें से 2027 मामलों में अब भी जांच पेंडिंग चल रही है । काइम ्यूरको के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से साल 2016 की ततुिना में 2019 में 60 फीसदी से जयादा हिंसा दलितों के साथ हतुई हैं । 2016 में जहां दलितों पर अतयाचार के दर्ज मतुकदमों की संखया 6 हजार 329 थी ्वहीं 2017 में यह आंकड़ा कम हकोकर 5222 पर पहतुंच गया था । लेकिन इसके बाद 2018 में आंकड़ा 5702 पर पहतुंच गया और प्देश में सत्ा परर्वत्सन के बाद गहिकोत की अगतु्वाई में कांग्ेर के सत्ारूढ़ हकोते ही दिसंबर 2019 में ये आंकड़ा 8591 पर पहतुंच गया । इसके बाद साल 2019 में 8895 के आंकड़े पर पहतुंचा
चाहिए । लेकिन अब जबकि गहिकोत सरकार के सत्ा संभाले हतुए लगभग तीन साल हकोने ्वाले हैं तको ज्वाबदेही से बचने के लिए सरकार ने इस बैठक कको आयकोतजत हकोने से ही रकोक रखा है । पसथति यह है कि दलित अतयाचार तन्वारण के लिए हकोने ्वाली जको बैठक साल में कम से कम दको बार हकोनी चाहिए थी ्वह गहिकोत सरकार के तीन सालों के मौजूदा कार्यकाल में अभी भी सिर्फ एक बार ही आयकोतजत हतुई है । कायदे से यह हर साल दको बार हकोती तको अब तक छह बार बैठकें हको चतुकी हकोतीं जिसमें दलित
का सहज ही अंदाजा हको जाता है । उसमें भी कोढ़ में खाज की बात यह है कि जिन मामलों में मतुकदमा दर्ज भी हको रहा है उसमें समतुतचत और संतकोरजनक कर्वाई नहीं हको पा रही है । अक्सर ऐसा देखा जा रहा है कि पतुतिस मतुकदमा दर्ज कर ठंडे बसते में डाल देती है जिसकी ्वजह से पेंडिंग केसों की संखया 2647 से जयादा हको चतुकी है । पेंडिंग मामलों की ्वजह से ना आरकोतपयों के खिलाफ कार्स्वाई हकोती है और ना ही पीड़ितों कको एससी-एसटी एक्ट के तहत मतुआ्वजा मिल पाता है । �
uoacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 25