भवन का वास्तु ठीक होने के साथ-साथ व्यक्ति का व्यक्तिगत वास्तु भी ठीक होना चाहिए l व्यक्तिगत वास्तु से तात्पर्य व्यक्ति के शरीर, मन ,मस्तिष्क एवं आत्मा का वास्तु सम्मत रख -रखाव से है | जैसे घर में सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवाह होता है | वैसे ही व्यक्ति के शरीर में आंतरिक और बाह्य ऊर्जाओं की मात्रा व उनका तालमेल विशेष महत्व रखता है | जल,वायु ,अग्नि ,भूमि व आकाश व्यक्ति के शरीर में भी जीवन दायनी ऊर्जाओं के नाम से जाने जाते है | इनमे से किसी एक तत्त्व को हटा देने पर जीवन निरर्थक हो जाता है | भवन की तरह ही खास स्थल यानि ईशान कोण वयक्ति के शरीर में भी है |
शायद यही वजह है कि वास्तुशास्त्र के तहत इन दिशाओं की पवित्रता ,शुद्धता ,शीतलता और संतुलन पर बार -बार ध्यान दिया जाता है |
वास्तु और आप