मई-2019
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अगर तुम अपने भय को जीतने की कोिशश करोगे, तो यह दबा रहेगा, तु हार
भीतर गहरे म चला जाएगा. उससे कछ सुलझेगा नह , ब क चीज और
उलझ जाएंगी.
छोटा-सा कण भी न नह िकया जा सकता. वह
के वल अपना प बदल लेगा. पानी क एक बद ंू
को भी तम ु न नह कर सकते. हो सकता ह ै तम ु उस
बफ बना दो या भाप बना दो, लेिकन वह मौजद ू
रहगेी। कह न कह वह रहगेी, इस अि त व स
बाहर तो जा नह सकती.
भय को भी तम ु न कर सकते. और यग ु -यग ु स
यही िकया गया ह-ै लोग भय को न करने क ,
ोध को, काम को, लोभ को और ऐसी िकतनी ही
चीज को न करने क कोिशश करते रह े ह. परी ू
दिनया
इसी तरह कोिशश करती रही ह,ै और
प रणाम या हआ? मन ु य उथल-पथल
हो गया ह.ै
कछ
भी न नह हआ, सब कछ
वैसा का वैसा ह,ै
बस चीज उलझ गई ह. कछ
भी न करने क
ज रत नह ह,ै य िक पहली बात कछ
भी न
िकया ही नह जा सकता. तो िफर या करना ह?ै
भय को त ु ह समझना ह.ै भय या ह?ै कै से उठता ह
भय? कहाँ से आता ह?ै उसका सदश
े या ह?ै िबना
िकसी प पात के उसम झाको,
तभी तम ु समझ
पाओगे? अगर त ु हारी पहले से ही धारणा बनी हई
ह ै िक भय गलत ह,ै िक भय नह होना चािहए- 'मझ ु
भयभीत नह होना चािहए' - तब तम ु उसम झाक
न
पाओगे. भय का आमना-सामना तम ु कै से कर
सकते हो? अगर तमन
पहले से ही िनणय ले िलया
ह ै िक भय त ु हारा द ु मन ह,ै तो उसक आख
म तम ु
कै से झाक
सकते हो? द ु मन क आख
म कोई नह
दख
ता. अगर तम ु सोचते हो िक यह गलत चीज ह
तो तम ु उससे बचकर िनकलना चाहोगे, उसक
उपे ा करना चाहोगे. पहले सारे पवा
ह, सारी
धारणाए, ं परी ू िनदा
को छोड़ो. भय एक त य
ह.ै उसका सामना करना ह,ै उसको समझना
ह.ै और के वल समझ के ारा ही उस
पात ं रत िकया जा सकता ह.ै
भय या है? पहली बात : भय हमश
ा
िकसी इ छा के आसपास पनपता ह.ै
तम ु िस होना चाहते हो, ससार
क
सबसे िस यि होना चाहते हो- िफर
भय श ु होता ह.ै अगर ऐसा न हो सका तो
या होगा? भय लगता ह.ै भय उस इ छा का
बाइ- ोड ट ह.ै तम ु ससार
के सबसे धनवान
यि बनना चाहते हो- सफलता न िमली तो या
होगा? सो भीतर से तम ु कापन
लगते हो, भय श
हो जाता ह.ै त ु हारी िकसी ी पर मालिकयत ह,ै
तम ु भयभीत होते हो िक हो सकता ह ै कल त ु हारी
उस पर मालिकयत न रह,े वह िकसी और के पास
चली जाए. अगर वह जीिवत ह ै तो वह जा सकती
ह,ै िसफ मदा
ि या ं कह नह जात . के वल एक
लाश पर ही मालिकयत क जा सकती ह-ै अगर
तम ु इसी ण म जीने लगो तो भय िमट जाता ह.ै भय
वासना के कारण पैदा होता ह.ै तो मलतः
वासना
भय को पैदा करती ह.ै झाको
भय
म.
जब भी भय
लगे तो दख
ो िक वह कहा ं से आ रहा ह-ै कौन सी
इ छा, कौन सी वासना उसे िनिमत कर रही ह-ै <
भय को न मारा जा सकता ह
न जीता जा सकता ह,ै
के वल समझा जा सकता ह
और के वल समझ ही पातरण
लाती ह,ै बाक
कछ
नह . अगर तम ु अपने भय को जीतने क
कोिशश करोगे, तो यह दबा रहगेा, त ु हारे भीतर
गहरे म चला जाएगा. उससे कछ
सलझग
े ा नह ,
बि क चीज और उलझ जाएगी.
जब भय उठे तो
तम ु उसे दबा सकते हो- भय को जीतने का यही अथ
ह.ै भय को तम ु दबा सकते हो, इतने गहरे म दबा
सकते हो िक त ु हारी चतेना से वह िबलकल
गायब
हो जाए. तब त ु ह कभी उसका पता भी न चलेगा,
लेिकन वह बेसमट म पड़ा रहगेा और अपना काम
जारी रखगेा. वह तब भी तम ु पर हावी होगा, तम ु पर
क जा करे गा, लेिकन ऐसे परो ढग ं से क जा
करे गा िक त ु ह उसका पता भी न चले. लेिकन तब
खतरा और भी गहरा हो जाएगा. अब तम ु उस
समझ भी न पाओगे.
तो भय को जीतना नह ह.ै न ही उसे मारना ह.ै भय
को तम ु मार नह सकते, य िक उसम एक कार
क ऊजा होती ह ै और कोई भी ऊजा कभी न
नह क जा सकती. तमन
ा भय क
कभी दख
समय तमम
एकदम
स
बड़ी
ऊजा
आ
जाती
ह?ै ठीक जैसे ोध के समय ऊजा आ
जाती ह,ै वे दोन एक ही ऊजा के दो
आयाम ह. ोध आ ामक ह ै और भय
अना ामक ह.ै भय ह ै ोध क िनगेिटव
अव था और ोध ह ै भय क पॉिजिटव
अव था. जब तम ु ोध म होते हो तो
तमम
िकतनी ताकत आ जाती ह,ै ऊजा भर
जाती ह!ै जब तम ु ोध म होते हो तो एक बड़ी
च ान भी उठाकर फक सकते हो, आमतौर पर
उतनी बड़ी च ान तो तम ु िहला भी नह सकते.
ोध के समय तम ु तीन-चार गना
यादा
शि शाली हो जाते हो. उस समय तम ु ऐसी कई
चीज कर सकते हो, जो ोध के िबना सभव
ही नह
ह.ै और भय के समय तम ु इतना तेज भाग सकते हो
िक ओिलिपक
िखलाड़ी भी ई या करने लगे. भय
से ऊजा पैदा होती ह,ै भय ऊजा ही ह,ै और ऊजा
को कभी न नह िकया जा सकता. अि त व स
ऊजा क एक चटक
भी न नह क जा सकती.
इस बात को हमश
ा याद रखो, वरना तम ु कछ
गलत
कर बैठोगे. तम ु िकसी भी चीज को न नह कर
सकते, के वल उसका प बदल सकते हो. छोटे स
ककड़
को भी तम ु न नह कर सकते. रे त का एक