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 मई-2019 48 ljksdkj वािद रोिटयां  भारत म भूिमगत जल का उपयोग सबसे यादा मा ा म िकया जाता है जो दुिनया भर का कल 24 ितशत है. भौितक पानी का अभाव बदतर होता जा रहा है एक अनुमान क मुतािबक 2050 तक दुिनयाभर म पानी क अभाव वाले इलाको म रहने वाल की सं या बढ़कर 500 करोड़ तक पहुंच सकती है. पकज रामद ु द श क एक नामी िगरामी आटा बेचने वाली कपनी अपने िव ापन म एक खास बात ज र बोलती ह.ै ‘म य दश के चिनदा ं जगह के गह से बना हआ श ु फलाना आटा. ‘कपनी इसे अपना यिनक स ि लग वाइट यािन यएसपी मानती ह,ै इसका मतलब वह खास बात जो आपके उ पाद क गणव ा को ऊपर ला दतेी ह.ै य चिनदा जगह िजसका िज इस िव ापन म होता ह ये जगह सीहोर िजले के गाव ं ह.ै इ ही गाव ं म स एक गाव ं ह ै इछावर तहसील का िदविड़या. िदविड़या म हर गाव ं का बािशदा जानता ह ै िक उसके यहा ं के गह से कौन सी कपनी आटा बनाती ह ै और उसके यहा ं का गह िकस कदर िस ह.ै बाहर से आए हए िकसी यि को गाव ं के लोग य बात बताना कभी नह भलत ह. गह क वैसे तो कई िक म े होती ह लेिकन दो िक म को सव े क णेी म रखा जाता ह.ै ये िक म ह ै सरबती और लोकमन. इसम सरबती गह को आप बासमती चावल मान सकते ह जो गह क उ क ृ िक म ह.ै अब जो उ क ृ होता ह ै उसके लालन पालन म उतना ही िवशषे यान दनेा पड़ता ह.ै यही बात सरबती पर भी लाग ू होती ह.ै सरबती बाक सारी िक म से कई गना यादा पानी पीता ह.ै गाव ं क सभी लोग ये बात जानते ह. लेिकन िफर भी वो सरबती ही उगाते ह य िक सरबती के दाम यादा िमलते ह. और ये दाम िसफ नामी िगरामी कपनी नह चका रही ह ै ये दाम धरती के नीच े मौजद ू पानी भी चका रहा ह.ै ये दाम गाव ं के रहने वाल क सखत गले भी चका रह े ह. इछावर म आप य ंू ही चलते चलते िकसी भी बािशद ं े से पछ लीिजए क उसके यहा ं म ु य सम या या ह.ै वो इस चनाव म कौन सी सम या क तरफ यान आकिषत करना चाहते ह. आपको एक ही जवाब िमलेगा-पानी क सम या. बरस से भिमगत जल के भरोसे रहने वाल गाव ं के लोग अब पानी को दर ू से भर कर लाने, आठ से दस िदन परान पानी को पीने, ह त -ह त तक पानी के िलए इतज़ार करने और टकर से पानी खरीदने को अपनी िजदगी का िह सा मान चके ु ह. वो जानते ह िक उनके यहा ं ऊगने वाला गह उनक ज़मीन के तले क तरावट को िकस कदर सखा रहा ह ै लेिकन आप इसे उनक मजबरी ू कह सकते ह या बाज़ार सचािलत मानिसकता का उनपर हावी होना. ये भी कहा जा सकता ह ै िक पानी क कमी स जझत इन गावो को िफर भी पानी क इस लगातार िवकराल होती भयावह ि थित और अपने भिव य का अहसास ही नह हो पा रहा ह.ै ये सब बात इसिलए य िक अब व रोटी बनाने के िलए आटा गथन ंू म लगे पानी से यादा रोटी को उगाने म लगे पानी के बारे म सोचने का आ गया ह.ै वैसे तो हम जो पहनते ह खाते ह ै या कोई भी उ पाद जो हम इ तेमाल करते ह वो बगैर पानी के उपयोग के बन ही नह सकता ह.ै ये वो पानी ह ै िजसका बहतायत म इ तेमाल होता ह ै लेिकन ये इ तेमाल य िक य़ नह ह ै इसिलए चचा म नह आता ह.ै इस वचअ ल वॉटर यािन आभासी जल कहते ह. अ सर जब भी पानी बचाने क बात होती ह ै तो तमाम सगठन से या आपके इद िगद भी आपको पानी कम बहाने, रोज़मरा म े इ तेमाल होने वाल पानी के इ तेमाल म िकफायत बरतने जैसे सझाव सनन को िमलते ह य िक हम इस बात का इ म ही नह ह ै िक उ पाद िनमाण म पानी का इ तेमाल www.ujeshatimes.com