Ujesha Times may internet | Page 47

 मई-2019 45 vk/kh&vkcknh सव ण म यह पता चला था िक मिहला नेता को पु ष नेता क मुकाबले यादा नुकसान उठाना पड़ता है. जॉिजया िव विव ालय क पॉिलिटकल एनािल स की एक टीम ने कहा था िक टॉप की पोजीशन पर पहुंचने क बावजूद अ सर मिहला को से सए ट सोच का िशकार होना पड़ता है. www.ujeshatimes.com िकए ह. उसका अन ु छे द 7 कहता ह ै िक राजनीितक और सामािजक जीवन म मिहलाओ से होने वाले भदेभाव को समा करने के िलए िविभ न दश को उपाय करने ह गे. यह सिनि त करना होगा िक मिहलाओ ं को भी प ु ष क तरह सरकारी िनकाय के चनाव म खड़े होने का मौका िमले. चिक ंू सरकारी नीितया ं बनाने और उ ह काया वयन म औरतो को भी भागीदार बनन का हक ह.ै औरत को राजनीित म आने क ज रत य ह?ै िकसी ने जवाब िदया, तािक व औरत क सम याओ ं को हल कर सक. शायद इतना भर काफ नह ह.ै यहा ं औरत के म ु स भी यादा ज री कछ ह.ै यहा ं बात आदमी औरत से यादा, गैर बराबरी क ह.ै गैर बराबरी ख म होनी चािहए य िक जाितवाद भी गैर बराबरी क सोच से श ु होता ह.ै मानवािधकार हनन भी. दिनया इसीिलए भर म दमन और िहसा ह,ै य िक कोई ताकतवर और समथ ह,ै कोई कमजोर और असमथ. गैर बराबरी इनक भी जड़ म ह.ै स ा असतलन ु का ही नतीजा ह ै िक औरत को आप अपनी बराबरी म लाना नह चाहते. उ ह चिड़या-प ं टीकोट पहनाकर बैठ जाने को कहते ह. इसके बावजद ू िक डेटा कहता ह,ै िपछली लोकसभा म मिहला उ मीदवार के जीतने क दर 9 परसट से यादा थी, और प ु ष उ मीदवार क साढ़े छह परसट से कम. आज क राजनीित म मात ृ व िकसी भी िवषय को पिव ता का जामा पहना दतेा ह-ै गऊ माता से लेकर भारत माता और गगा मा ं तक. औरत के सश करण और अिधकार के िलए आवाज बलद ं करन वाले कम नह . तीन तलाक हो या बेिटय को पढ़ाना-िलखाना, इन पर जोर-जोर से िच लान वाले भी बहतेरे ह. लेिकन, असल सवाल िफर भी कायम ह-ै या भारतीय राजनीित म िसफ औरत क बात क जाएगी, या उनके साथ स ा बाटन क भी श ु आत क जाएगी? हा, ं इसक िलए करना िसफ इतना होगा िक उनके रा ते म रोड़े न अटकाए जाए. ं उ ह अपने बराबर म बैठन िदया जाए.< खड़ा करगे. काम वही करगे, नाम औरत का होगा. कई जगह पर तो यह भी कहा गया िक िनर र औरत, राजनीित का ककहरा कहा ं पढ़ पाएगी. राज थान म पचायत म चनाव लड़न क िलए िमिनमम वािलिफके शन के ाइटी रया न औरत को सबसे यादा नकसान पहचाया और इसे मिहला िवरोधी कदम कहा गया. अब नई सरकार ने इस शत को हटा िदया ह.ै अबे ं डकर 1928 म कह चके ु ह िक यह सोचना िक िनर र आदमी बि ु हीन होता ह,ै हमारी भल ह.ै अ छे राजनेता क प रभाषा बहत यि िन होती ह ै और उसक िवशषेताओ ं को सभी अपनी- अपनी तरह से प करते ह.ै आप िजतने लोग से पछग , उतनी तरह के जवाब िमलगे. अ सर मिहला नेताओ ं को प ु ष नेता अपनी तरह से चलाने क कोिशश भी करते ह. मतलब हमारा ऑडर मानो. अपने फै सले अपनी तरह स मत लो. यह भी िक जाितगत दमन का भी िशकार होना पड़ता ह.ै यह सब इसके बावजद ू ह िक सिवधान और अतररा ीय काननी बा यताए ं औरत को आदिमय क बराबरी म रखते ह. सिवधान का अन ु छे द 46 कहता ह ै िक रा य को समाज के कमजोर तबक को सामािजक याय और शोषण से बचाना होगा. अन ु छे द 14 सबको समानता का अिधकार दतेा ह.ै मिहलाओ ं से होने वाले भदेभाव को रोकने स जड़े ु अतररा ीय क वशन पर भारत म द तखत