मई-2019
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िकसान से जड़े ु म ु े एसी म म तय होते ह और
कछ
ही घट ं म सोशल मीिडया पर पख
लगाकर
उड़ने लगते ह. इसके कछ
बड़े लेयर तो ह त
दस िदन म एक दो लाईन का मटैर सोशल
मीिडया पर डालते ह और उनक टीम इसे करोड़
लोग के बीच ले जाती ह.ै भारतीय मानस क
साथ अजीब तरह का खल
चल रहा ह.ै सम या
भी खद ु ही बनाते ह और समाधान भी खद ु ही तय
करते ह. और गजब यह ह ै िक समाधान को वे सौ
फ सदी सही मान भी लेते ह. िमसाल के तौर पर
कालाधन आएगा तो हर आदमी के खाते म
प ह लाख पए आएगे ं . न काला धन आया न
प ह लाख. मगर जमला
चलाने वाल ने अपना
काम कर िलया. ऐसे ही िकसान के दो लाख तक
के कज माफ का नारा चला और हक कत म जो
काम दस िदन म होना था वह सौ िदन म भी नह
हो पाया. ऐसे ही अब चल रहा ह ै बेरोजगार को
हर साल 72 हजार पए दग े. नारा ह ै चल गया तो
पाट सरकार म भले ही प ह लाख क तरह य
भी न िमले. यह आशका
इसिलए िक आिखर
25 करोड़ लोग को हर साल 72 हजार पए दश
कहा ं से लाएगा. िवकास काय का िकतना
िह सा इस तरह क घोषणाओ ं पर खच होगा
और दश
क िश ा उ ोग और रसच पर इस
घोषणा का िकतना द ु भाव पड़ेगा. न कोई
बताने वाला ह.ै न कोई पछन
वाला और न कोई
सनन
के िलए
वाला. ये सब बात वोट जगाड़न
कायकता के ज रए वोटर तक जाएगी.
मतदान
तक कायकता क थोड़ी पछ
परख और प रणाम
के बाद वोटर और कायकता दोन अगले चनाव
तक के िलए िसयासत से ो कर िदए जाएगे ं .
अभी मतदान तक सबक जय जय…
ऐसई पछा…
आिखर हमारे नेतागण ऐसा कौन सा धधा
करत
ह िक पाच
साल
म
उनक
सपि
िबना
कछ
िकए
ही सौ गना
से यादा बढ़ जाती ह.ै जबिक नेता
लोग चौबीस घटे ं बारह महीने 365 िदन िसफ
राजनीित करते ह तो वे पैसा कहा ं से कमाते ह.
बेईमान तो वे ह नह उनके ईमान पर कोई शक भी
नह ह ै लेिकन दश
क जनता को वे उस
अलादीन के िचराग का कछ
अश
कायकता
और जनता के िलए भी महय
ै ा करा द तािक
उनक मफिलसी
दर ू हो जाए. इतजार
ह ै कोई बड़
िदल का नेता इस काम को शायद कर
जाए…<
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और तब ं ू तानने के काम भी इवट मनैेजर क
िज म े हो गए ह. जैसे पहले कभी शादी म प रवार
और मोह ले के लोग भोजन बनाने से लेकर
परसने तक का दािय व उठाते थे, अब वह काम
टट वाले से लेकर शादी डाट काम वाले ही
िनपटा लेते ह. ये जो व बदल रहा ह ै उसस
इवे ट वाल के अ छे िदन तो आ ही गए ह.
लाक तर तक क सम याओ ं के िलए
एनजीओ म काम करने वाली टीम सारे डाटा
इक े कर माननीय को लैपटाप और पावर
वाइट ं जटेशन के ज रए बताते ह. साथ ही वे ही
सम याओ ं के समाधान भी बताते ह. कता
पायजामा पहने लैपटाप का बैग लटकाए, बढ़ी
हई दाढ़ी वाले मै ो िसटी से पढ़े हए लड़के जब
फराटे से अ ं ेजी बोलते हए अपना जटेशन
करते ह तो ऐसा लगता ह ै मानो अब सब कछ
इ ह के ज रए ठीक हो जाएगा. चनाव
भी
जीत
जाएगे ं , सरकार भी बन जाएगी और म ं ी बनने क
बाद यही शहरी नौजवान क टीम अगले चनाव
तक समाधान का जटेशन बनाएगी. अब इस
बदलाव म िसयासत का वो िकरदार हािशए पर
चला गया िजसके िलए पैसा नह लीडर
मह वपण ू था. पद नह पाट उनके िलए ाण थी.
अपना रसख
नह बि क जो उनके नेता ह उनक
इ जत बढ़े, इसी के िलए वे िदन रात लगे रहते थे.
यह सब भख
े यासे रहकर भी िसफ इसिलए सब
काम करते थे तािक उनक पाट और लीडर
िज दाबाद हो, भले ही वे फक री म रह.
कायकताओ ं क ऐसी जमात को अब
भावक,िज
ी और जननी
ू माना जाता ह.ै ऐस
लोग को शरीफ लोग क भाषा म बेवकफ
क
बजाए सीध े कहा जाता ह
पाट और नेताओ ं के आसपास टे नो े ट और
जेएनय ू से पढ़े ितभावान ऐसे ब च का समह ू
भी ह ै जो सम या बताता ह ै और उनका शहरी
अदाज
म समाधान भी. खास बात यह ह ै िक
ाउड ं जीरो पर जाकर सम या के वा तिवक हल
पर यादा काम नह हो रहा ह.ै इन िदन भारतीय
राजनीित म अजीब दौर चल रहा ह.ै चनाव
भारत
म और तरीके िवदश
ी लाग ू िकए जा रह े ह.
अमे रका क तज पर फे सबक,
और
हाटसअप
टिवटर
के ज रए चार करने के िलए भारी
भरकम टीम लगाई गई ह.ै रोजाना गाव ं और