सुचध पाठकों से आग्रह
‘द िोग्रेस ऑर् ंारखण्ि’ का अगस्त 2019 का अंक आप
सुववचार
स्वेच्चछा राज (संकिन)
के हाथ में है . यप्रद आप पप्रत्रका िाप्रप्त के इच्चछुक हैं तो हम
संपकफ करें:
र्ोन एवं व्हाट्सऐप : 09934333307
ई-मेि : [email protected]
उपरोक्त संपकफ सूत्रों के माधयम से अपना पूरा नाम, पता, र्ोन
नंबर, इत्याप्रद बताएं , हम आपको अपनी मैजिग लिस्ट म
शाप्रमि करेंगे. पप्रत्रका के सम्बन्ध में सुंावों का स्वागत है.
=====================================================
सब्सक्रिप्शन फॉम
ग्राहक का नाम................................................
पता : .........................................................
...............................................................
...............................................................
पोस्ट ....................... लजिा ...........................
राज्य ....................... प्रपन .............................
प्रकतने समय के लिएः
वार्षषक (350/- रूपए)
प्रिवार्षषक (700/- रूपए)
िाफ्ट संख्या ..................................................
मनी आिफर संख्या ............................................
कृपया ग्राहक शुकक (सब्सप्रक्प्शन) की रालश बैंक िाफ्ट के
साथ इस र्ॉमफ को भी संिग्न कर भेज सकते हैं .
रालश इस पते पर भेज : ें -
प्रवतरण प्रवभाग
द िोग्रेस ऑर् ंारखंि
स्वर्लणमा एकेिमी पिरसर, अरसंि , े
बोड़ेया रोि, कांके, रांची- 834006
....................................................
ग्राहक का पूरा नाम व हस्ताक्षर
30 । The Progress of Jharkhand (Monthly)
आपको मानवता में ववश्वास नहीं खोना चाहहए।
मानवता सागर के समान है ; यवि सागर की कु छ
ब ँिें गन्दी हैं , तो प रा सागर गंिा नहीं हो जाता।
– महात्मा गांधी
असफिता कभी भी व्यब्क्त िहीं, अब्पतु घटिा होती
है।
- विवियम डी. ब्राउन
स व ं ाद करिा ब्बल्कुि ठीक है, िेब्कि जब तब इसे ि
करिा भी आवश्यक है।
- रिचडड आमडि
दौड़ के पहिे चक्कर में आिोचिा को आगे रहि
देकर भी दौड़ जीत जाती है प्रश स ं ा।
- बनड विवियम्स
प्रसन्िब्चत्त होिा समाज में पहिे जा सकिे वाि
आवरण का सविश्रष्ठ अिंकरण ही कहा जा सकता है।
- विवियम एम ठे किी
इब्तहास की महाि त्रासब्दयााँ सही और गित क
टकरािे से िहीं अब्पतु सही और सही के टकराव स
पेश आती है।
- हेकिी ए. वकवस ज िं ि
आदमी के वि शलदों के सहारे िहीं जी सकता,
हािांब्क कभी-कभी उसे कुछ उगिकर ब्िगििा भी
पड़ता ही है।
- ऐडिे स्िीिेंसन