Sri Vageesha Priyah eSouvenir May 2014 | Page 36
॥ श्रीः॥
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॥ श्रलक्ष्मरहयवदन लक्ष्मरनारायण वेणगोपाल परब्रह्मणे नमीः॥
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॥ श्र शठकोप रामानज देशशके भ्यो नमीः॥
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॥ श्र ब्रह्मतन्त्र स्वतन्त्र परकाल गरुपरम्परायै नमीः॥
॥ अवतार नित्राशण ॥
श्रमहापरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
मन्मथाख्याब्दवैशाख मासाद्राथतारकोद्भवम।् महान्तं परकालाख्य यशतराजमहं भजे॥
श्र श्रशनवासब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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पष्येत सवाथथ थशसद्धरीः प्रभवशत च चतवेदतद्भाष्यवाचाम । तेजश्चािेशरवासौ कलयशत शवशधनेत्यवमादौ शवशचन्त्य ॥
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पष्येमासर प्रकृ ष्टे प्रभवशभशदने कृ शत्तकायां शभिे । यतीः श्रवासयोगरश्वरकशलमथनस्यावतारीः स जरयात ॥
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श्ररामानजब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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शवरोशधमेषरोशहण्यामवतरणं श्यामहे। श्रमद्रामानजाशभख्य परकालगरूत्तमम॥
श्रघंटावतारब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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धातवषे धशनिायां त ैषमासे शसतच्छदे। अवतरणाथय घंटांश कशलशजद्ग ुरुव े नमीः॥
श्रवेदान्तब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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श्रमशिरोशधकृ िषथनभोमासोत्तरोद्भवम।् श्रवेदान्तब्रह्मतन्त्र परकालगरुं भजे॥
श्रशनवासब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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साधारणसमाषाढपूवाथषाढा समद्भवम।् श्रशनवास ब्रह्मतन्त्र परकालगरुं भजे॥
श्रशनवासदेशशके न्द्रब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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श्रदुन्दुशभशरन्मागथदस्रिथ कशलतोदयम।् श्रवासदेशशके न्द्र श्रब्रह्मतन्त्रगरुं भजे॥
श्ररङ्गनाथब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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आङ्गररसाब्दवैशाख शवशाखातारकोशदतम।् रङ्गनाथब्रह्मतन्त्र परकालगरुं भजे॥
श्रकृ ष्णब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्रपरकालस्वाशम अवतार नित्रम ्
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शवकाशरवत्सरज्ेिश्वणिथकृतोदयम।् श्र श्रकृ ष्णब्रह्मतन्त्र परकालगरुं श्ये॥
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