अपितु बलवती आशा का भाव थिा । आशा का वही भाव, स्तंत्ता के बाद हमारी प्रगति को ऊर्जा दरेता रहा है । चुनौतियों के बावजूद, भारत के लोगों नरे लोकतंत् को सफलतापूर्वक अपनाया । लोकतत्त् को अपनाना हमाररे प्राचीन लोकतांधत्क मूलयों की सहज अभिवयस्त थिी । भारत-भूमि, विश् के प्राचीनतम गणराजयों की धरती रही है । इसरे लोकतंत् की जननी कहना स््णथिा उचित है । हमाररे द्ारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर, लोकतत्त् का भवन निर्मित हुआ है । हमनरे लोकतत्त् पर आधारित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया, जिनसरे लोकतासत्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली । हमाररे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत् स्वोपरि हैं ।
उन्होंनरे कहा कि सुशासन के माधयम सरे िड़ी संखया में, लोगों को गरीबी सरे बाहर निकाला गया है । सरकार, गरीबों के लिए अनरेक कलयारकारी योजनाएं चला रही है । जो लोग गरीबी-ररेखा सरे ऊपर तो आ गए हैं लरेधकन मजबूत स्थिति में नहीं हैं, उनको भी ऐसी योजनाओं की सुरक्षा उपलबध है ताकि वह फिर सरे गरीबी ररेखा सरे नीचरे न चलरे जाएं । यह कलयारकारी प्रयास,
सामाजिक सरे्ाओं पर िढ़तरे खर्च में परिलक्षित होतरे हैं । आय की असमानता कम हो रही है । क्षरेत्ीय असमानताएं भी कम हो रही हैं । जो राजय और क्षेत्र पहलरे कमजोर आधथि्णक प्रदर्शन के लिए जानरे जातरे थिरे, वह अब अपनी वासतध्क क्षमता प्रदर्शित कर रहरे हैं और अग्री राजयों के साथि बराबरी करनरे की दिशा में आगरे बढ़ रहरे हैं ।
राष्ट्पति मुर्मू नरे संविधान की चर्चा करतरे हुए कहा कि संविधान में ऐसरे चार मूलयों का उल्लेख है जो लोकतंत् को सुदृढ़ बनाए रखनरे वालरे चार सतंभ हैं । यह मूलय हैं- न्याय, स्तंत्ता, समता और बंधुता । यह ऐसरे सिद्धांत हैं जिन्हें स्ाधीनता संग्ाम के दौरान पुनः जीवंत बनाया । इन सभी मूलयों के मूल में, वयस्त की गरिमा की अवधारणा ध्द्मान है । प्रत्येक वयस्त समान है, और सभी को यह अधिकार है कि उनके साथि गरिमापूर्ण वय्हार हो । स्ासथय-सरे्ाओं और शिक्षा-सुविधाओं तक, सभी की समान पहुंच होनी चाहिए । सभी को समान अवसर मिलनरे चाहिए । जो लोग पारंपरिक वय्स्था के कारण वंचित रह गए थिरे, उन्हें मदद की जरूरत थिी । इन सिद्धांतों को स्वोपरि रखतरे हुए, हमनरे
1947 में एक नई यात्ा शुरू की । 78 ्षषों में सभी क्षरेत्ों में असाधारण प्रगति की है । भारत नरे आतमधनभ्णर राष्ट् बननरे के मार्ग पर काफी दूरी तय कर ली है और प्रबल आतमध्श्ास के साथि आगरे बढ़ता जा रहा है ।
उन्होंनरे कहा कि आधथि्णक क्षेत्र की उपलसबधयां साफ-साफ दरेखी जा सकती हैं । पिछलरे ध्त् वर्ष में 6.5 प्रतिशत की सकल-घररेलू-उतपाद-वृद्धि- दर के साथि भारत, दुनिया की प्रमुख अथि्णवय्स्थाओं में सबसरे तरेजी सरे िढ़नरे वाला दरेश है । वैसश्क अथि्णवय्स्था में वयापत समसयाओं के बावजूद, घररेलू मांग में तरेजी सरे वृद्धि हो रही है । मुद्रासिीधत पर नियंत्र बना हुआ है । निर्यात िढ़ रहा है । सभी प्रमुख संकेतक, अथि्णवय्स्था की मजबूत स्थिति को दर्शा रहरे हैं । यह, हमाररे श्रमिक और किसान भाई-बहनों की कड़ी मरेहनत और समर्पण के साथि-साथि, सुविचारित सुधारों और कुशल आधथि्णक प्रबंधन का भी परिणाम है ।
राट्पति मुर् मू नरे कहा कि जन-सामान्य के जीवन को िरेहतर बनानरे के लिए, कारोबार को आसान बनानरे के साथि-साथि जीवन को आसान
flracj 2025 9