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जनजातीय भाषाओं करे लिए भारत का पहला कृ त्रिम बुद्धिमत्ा संचालित अनुवादक

समा्रेशी जनजातीय सश्तीकरण और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्ालय नरे जनजातीय भाषाओं के लिए भारत का पहला एआई-संचालित अनुवादक " आदि वाणी " का बीटा संसकरण जारी कररेगा I जनजातीय गौरव वर्ष के बैनर के अंतर्गत विकसित यह अग्री पहल जनजातीय क्षरेत्ों में भाषाई और शैक्षिक परिदृशय को बदलनरे के लिए तैयार है । यह जलद ही प्ले सटोर( आईओएस पर) उपलबध होगा I एक समर्पित ्रेि प्लेटिलॉम्ण के माधयम सरे उपलबध, आदि वाणी को आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच संचार अंतराल को पाटनरे के लिए डिज़ाइन किया गया है I इसमें उन्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस( एआई) का उपयोग करके लुपतप्राय आदिवासी भाषाओं की सुरक्षा भी की जा रही है ।

मंत्ालय के अनुसार आदि वाणी एक कृधत्म बुद्धि( एआई) आधारित अनुवाद उपकरण है जो आदिवासी भाषाओं को समर्पित भविष्य के एक िड़े भाषा मलॉडल की नींव रखता है । यह परियोजना दरेश में आदिवासी भाषाओं और संसकृधतयों के संरक्षण, संवर्धन और पुनरुद्धार के लिए उन्त कृधत्म बुद्धि( एआई) तकनीकों को समुदाय-संचालित दृष्टिकोणों के साथि जोड़ती है । जानकारी हो कि भारत की जनगणना-2011 के अनुसार दरेश में अनुसूचित जनजातियों द्ारा बोली जानरे वाली 461 जनजातीय भाषाएं और 71 विशिष्ट जनजातीय मातृभाषाएं हैं । इनमें सरे 81 भाषाएं सं्रेदनशील हैं और 42 गंभीर रूप सरे संकटग्सत हैं । सीमित दस्तावेज़ीकरण और पीढ़ी दर पीढ़ी संचरण अंतराल के कारण कई भाषाओं के विलुपत होनरे का खतरा मंडरानरे लगा है । इस दृष्टि सरे आदि वाणी जनजातीय भाषाओं के वय्स्थित डिजिटलीकरण, संरक्षण और पुनरोद्धार के लिए कृधत्म बुद्धिमत्ा( एआई) का लाभ उठाकर इस चुनौती का समाधान करती है । इसके विकास में आईआईटी दिलली के नरेतृत् में बिटस पिलानी, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईआईटी नवा रायपुर के साथि ही झारखंड, ओडिशा, मधय प्रदरेश, छत्ीसगढ़ और मरेघालय के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों( टीआरआई) नरे भी सहयोग किया है I
इसके माधयम सरे हिंदी एवं अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वासतध्क समय में अनुवाद( पाठ और वाक्) को सक्षम बनाया जा सकेगा I छात्ों और शुरुआती धशक्षाधथि्णयों के लिए इंटरैक्ट् भाषा शिक्षण प्रदान कररेगा I इसके साथि ही लोककथिाओं, मौखिक परंपराओं और सांसकृधतक विरासत को डिजिटल रूप सरे संरक्षित कररेगा I साथि ही जनजातीय समुदायों में डिजिटल साक्षरता, स्ासथय सरे्ा संचार और नागरिक समा्रेशन को िढ़ा्ा दिया जा सकेगा I बीटा ललॉत्च में आदि वाणी संताली( ओडिशा), भीली( मधय प्रदरेश), मुंडारी( झारखंड), गोंडी( छत्ीसगढ़) का संरक्षण
कररेगी I अगलरे चरण के लिए कुई और गारो सहित अतिरर्त भाषाओं का विकास किया जा रहा है ।
मंत्ालय का मानना है कि आदि वाणी एक अनुवाद उपकरण सरे कहीं िढ़करएक राष्ट्ीय मिशन है I इसका उद्देशय जनजातीय ज्ान और सांसकृधतक अभिवयस्तयों का डिजिटलीकरण और संरक्षण, जनजातीय समुदायों को उनकी मूल भाषाओं में शिक्षा, स्ासथय सरे्ा और सार्वजनिक सरे्ा प्रदान करके सश्त बनाना, सरकारी योजनाओं की अंतिम छोर तक पहुंच सुधनसशचत करके समा्रेशी शासन को िढ़ा्ा, लुपतप्राय भाषाओं के कृधत्म बुद्धिमत्ा( एआई)-संचालित संरक्षण में भारत को एक वैसश्क नरेता के रूप में स्थापित करना है I यह पहल डिजिटल इंडिया, एक भारत श्ररेष्ठ भारत, आदि कर्मयोगी अभियान, धरती आबा जनजातीय ग्ाम उतकष्ण अभियान और प्रधानमंत्ी जनमन जैसरे प्रमुख राष्ट्ीय मिशनों को आगरे िढ़ातरे हुए सांसकृधतक विविधता और समानता के भारत के संवैधानिक मूलयों को मजबूत करती है । �
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