Sept 2025_DA | Page 25

लोगों पर अतयाचार किए गए ।
कांग्रेस नरेता राहुल गांधी उसी पाटटी के नरेता हैं, जिसनरे संविधान को रौंद डाला थिा । ऐसरे में संविधान की रक्षा समित्धी उनके दावों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है । इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान संविधान 21 माह के लिए निलंबित रहा । वासत् में दरेखा जाए 25 जून 1975 की आधी रात को ततकालीन प्रधानमंत्ी इंदिरा गांधी नरे आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल थिोप कर दरेश के संविधान की हतया कर दी थिी । आपातकाल के पचास वर्ष सरे अधिक समय बीतनरे के बाद बाद कांग्रेस उसी मानसिकता के साथि चल रही है, उसकी नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है ।
सच यह भी है कि कांग्रेस नरे सिर्फ संविधान
संशोधन के माधयम सरे दुर्भावना के साथि धीररे- धीररे संविधान बदलनरे का प्रयास किया है । जवाहरलाल नरेहरू के कार्यकाल में 17 बार संविधान संशोधन किया गया, जबकि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किया गया । इसी तरह राजीव गांधी के कार्यकाल में लगभग 10 बार और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 7 बार संविधान में हुआ । हद तो यह है कि कांग्रेस सरकारों द्ारा किए गए अधिकांश संवैधानिक संशोधन या तो विरोधियों और आलोचकों को चुप करानरे के लिए या गलत नीतियों को लागू करनरे के लिए किए गए ।
संविधान और कांग्ेस
वर्तमान में संविधान रक्षा का राग अलापनरे वाली कांग्रेस नरे मई 1951 में पहलरे संवैधानिक संशोधन करके, नागरिकों के भाषण और अभिवयस्त की स्तंत्ता को कुचल दिया थिा । उस समय दरेश में पहला आम चुनाव भी नहीं हुआ थिा और न ही कांग्रेस के पास कोई जनादरेश थिा । लरेधकन पहला संविधान संशोधन करके आलोचकों को चुप करानरे के लिए अभिवयस्त की स्तंत्ता को कुचल दिया गया । संविधान निर्माता डा. आंिरेडकर संविधान लागू होनरे के बाद कांग्रेस सरकार द्ारा मौलिक अधिकारों को कमजोर करनरे के प्रयासों के विरुद्ध हमरेशा लड़तरे रहरे थिरे ।
कांग्रेस सरकार नरे 1954 में संविधान में चौथिा संशोधन लाकर मौलिक अधिकारों को कमजोर करनरे की कोशिश की, तो बाबासाहब आंिरेडकर नरे कहा थिा कि मुझरे यह कहतरे हुए दुःख हो रहा है कि मौलिक अधिकारों का तिरसकार करनरे का यह रवैया, मानो उनका कोई महत् ही न हो, कि बहुमत की सुविधानुसार या किसी पाटटी प्रमुख की इचछा सरे कभी भी उन पर कुठाराघात किया जा सकता है, एक ऐसा रवैया है जो भविष्य में आसानी सरे कुछ ख़तरनाक परिणामों को जन्म दरे सकता है । और इसलिए मुझरे बहुत अफसोस है कि इस तरह के मामलरे, यानी मौलिक अधिकारों के उललंघन या उनसरे विचलन, को भी सत्ारूढ़ पाटटी ऐसरे मान रही
है मानो यह कोई मामूली बात ही न हो ।
संविधान की आड़ में पूर्व प्रधानमंत्ी इंदिरा गांधी नरे पचास बार धारा-356 का दुरुपयोग करके, चुनी हुई सरकारों को गिरानरे का कार्य किया । संविधान के धारा-44 में समान नागरिक संहिता लागू करनरे के मुद्दे को कांग्रेस सरकार नरे उच्चतम न्यायालय के धनदजेश के बाद भी लागू करनरे में कोई दिलचसपी नहीं दिखाई । शाहबानो मामलरे में जोकि मुससलम महिलाओं के अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय थिा, उसरे तुष्टीकरण के कारण स्ीकार नहीं किया गया और कांग्रेस सरकार नरे कानून बनाकर निर्णय को पलट दिया । ऐसरे कई उदाहरण है, जो संविधान के प्रति कांग्रेस की कधथित सोच को सामनरे रखतरे हैं । िरेहतर यह होगा कि कांग्रेस नरेता राहुल गांधी अपनी पाटटी के उन कारनामों सरे पहलरे परिचित होनरे की चरेष्टा कररे, जो कारनामरे संविधान की अवहरेलना को सामनरे रखतरे हैं । भारतीय गणतंत् का प्रहरी है संविधान भारत के संविधान निर्माता स्तंत्ता आन्दोलन के आदशषों सरे प्ररेरित थिरे । वह सभी दूरदशटी थिरे, लरेधकन भविष्य में आनरे वाली सभी चुनौतियों और उनके समाधानों को संविधान में ससममधलत करना ततकालीन समय में संभव नहीं थिा । पिछलरे साढ़े सात दशकों में संविधान के सामनरे कई तरह की चुनौतियां आई हैं, लरेधकन संविधान की‘ लचीलरेपन की भावना’ के कारण सभी चुनौतियों का सामना पूरी दृढ़ता सरे किया गया हैं । ऐसरे कई अवसर भी आए, जब स्वोच्च न्यायालय नरे अपनरे निर्णय के माधयम सरे लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करतरे हुए लोकतंत् को सश्त किया और इन सभी ऐतिहासिक निर्णयों के पीछे जो आदर्श, विचार और मापदंड थिरे, वह सभी संविधान में निहित हैं । भारतीय संविधान वह आदर्श है, जिसके माधयम सरे दुनिया का सबसरे िड़ा लोकतंत् अससतत् में आया । लरेधकन यह न तो कांग्रेस नरेता राहुल गांधी को समझ आ सकता है और न ही विपक्ष के उन नरेताओं को, जो यह विलाप करके जनता को भ्धमत करके वोट हासिल करनरे के प्रयास कर रहरे हैं कि भाजपा राज में संविधान सुरक्षित नहीं है । �
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