आम जनता को भ्धमत करनरे का काम निर्लज्जता के साथि एक बार फिर किया जा रहा है । कांग्रेस नरेता राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा एक दिन संविधान को खतम करनरे के लिए काम कर रही हैं और संविधान जिस दिन खतम हो जाएगा, इस दरेश में गरीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के लिए कुछ नहीं बचरेगा । यहां पर गंभीर प्रश्न यह है कि ्या वासत् में ऐसा है?
उत्र बहुत सपष्ट है । कांग्रेस नरेता राहुल गांधी सहित विपक्ष के तमाम नरेताओं के आरोप पूरी तरह सरे गलत हैं । जनता को भ्धमत करके अपना उललू सीधा करनरे के लिए कांग्रेस और विपक्षी दल झठ बोल रहरे हैं । वासत् में सच तो यह है कि बाबा साहब डा. भीम राव आंिरेडकर के नरेतृत् में भारतीय लोकतंत् नरे 26 जनवरी 1950 में जिस संविधान को धारण किया थिा, उसरे कांग्रेस की पू््ण्तटी सरकारों नरे अपनरे ढंग सरे अपनरे लाभ के लिए परिवर्तित किया । मूल संविधान में अपनरे हितों के लिए किए बदलावों सरे दरेश की जनता का कोई लाभ नहीं हुआ, िसलक यह सब केवल अपनरे राजनीतिक हितों एवं तुष्टिकरण के लिए किया गया । बाबा साहब
डा. आंिरेडकर के संविधान और नरेहरू-गांधी परिवार वालरे संविधान को इस तरह सरे समझा जा सकता है-
संविधान में नहीं था वकफ बोर्ड
बाबा साहब डा. आंिरेडकर के नरेतृत् में दरेश
नरे जिस संविधान को अंगीकार किया थिा, उस संविधान में ््ि बोर्ड का कोई स्थान नहीं थिा । लरेधकन संविधान लागू होनरे के बाद दरेश के पहलरे प्रधानमंत्ी जवाहरलाल नरेहरू की सरकार नरे मुससलम तुष्टिकरण एवं मुससलम वोटबैंक के लिए 1954 में एक ््ि अधिनियम पारित करा
लिया । इस अधिनियम के बाद, ््ि संपधत्यों के प्रबंधन के लिए कानून बनरे और फिर 1955 में हर राजय में ््ि बोडषों की स्थापना की गई । ््ि अधिनियम-1954 के लागू होनरे के बाद ््ि संपधत्यों के रखरखाव और प्रबंधन सरे संबंधित नियम सामनरे आए । इसके बाद 1954 के अधिनियम के तहत 1964 में केंद्रीय ््ि परिषद की स्थापना हुई, जो राजय ््ि बोडषों के कायषों की दरेखररेख करनरे लगी । ््ि अधिनियम-1954 की धारा 9( 1) के प्रावधानों के अनुसार हर राजय में ््ि बोर्ड बनाए गए । इस कानून की आड़ में दरेश के लगभग सभी राजयों में सरकारी भूमि पर बड़े पैमानरे पर यह कह कर अवैध कब्ज़ा किया गया कि यह भूमि ््ि की है । चूंकि ््ि बोर्ड द्ारा कबजाई भूमि को क़ानूनी चुनौती सरे जुड़े कानून ऐसरे बनाए गए, जिसका लाभ अंततः कबजाधारक को ही मिलता रहा ।
flracj 2025 21