NATION EVERYDAY
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नीितमान राजाओ के नाम िहंदू धमशा ो म िमलते ह।
'रामायण' जैसे महाका म महिष वा ीिक ारा भु
ीराम को भगवान ीिव के एक अवतार के प म
िलखा गया है। प रणाम प भगवान की ज भूिम के
तौर पर अयो ा का मह िह दू आ था के ि कोण से
बड़ा ही मह पूण रहा है।
आ मण और धमाधता :
भारत के देव थान शु से ही संप ता और समृ
से प रपूण थे। लोगो की धािमक ा की वजह से इन
देव थानो की संप ता बढ़ती ही रही। सोने-चांदी से लेकर
र ो का भंडार मंिदरो म रहता था|ऐसी संप ता को
देखकर अरब के लालची और र राजाओ की नजर इन
मंिदरो पर रहती थी।धमाध और र बाबर ने 1526 म
हमला कर सरदार मीर बाकी को अयो ा का मंिदर
करने का आदेश िदया। 23 माच 1528 म उसने अयो ा
का मंिदर कर आदेश पर अमल िकया। अयो ा की
र ा के िलए उस व हंसवर के राजा राणा रणिवजय
और उनकी प ी जयराजकु मारी, पंिडत देवीदीन पांडे,
ामी बलराम आचाय इ ोनं अपने ाणो की बाजी
लगाई। अखाड़ो के साधु-महंतो ने भी हाथ म श लेकर
श का सामना िकया।
अयो ा के िलए बाबर के कायकाल म 4, मायूं के काल
म 10, अकबर के काल म 20, औरंगजेब के काल म 30,
आफत अली के व 3, नवाब वािजद अली के काल म 2
ऐसी कु ल 76 लड़ाईयाँ लड़ी गयी| अकबर के कायकाल म
कु छ बातो पर दोनो तरफ से सहमित होने के बाद अयो ा
म मूित पूजा करना शु आ था। यही िसलिसला
जहांगीर और शाहजहां के व भी जारी रहा।
राममंिदर की ायालयीन लड़ाई :
25 मई 1885 म महंत रघुवर दास ने पहली बार
उ र देश के फै जाबाद िजला ायालय म अयो ा
राममंिदर के प म के स दा खल िकया। उसम 'प र थित
‘जैसे थेʼ..ʼइतने ही सफलता िमली। 1934 म उ र देश म
गौह ा के मु पर दंगल भड़की और उसी दंगल के
दर ान िहंदू समुदाय ने अयो ा की बाबरी म द पर
क ा कर वहां पर भु ीराम की मूित की पूजा करना
आरंभ िकया। 1946 म इसी जगह पर मु मशीया
म द समथको ने दावा िकया| व बोड ने पूछताछ के
आदेश िदए। इस दौरान इस भूिम पर िहंदू समुदाय ारा
भजन-कीतन शु था। 1949 म इस भूिम के पहरे पर
हवलदार अ ुल बरकत को िसंहासन पर िवराजमान
रामलला के दशन हो गए। ायाधीश के .के . नायर ारा
यह जगह 'िववािदत' घोिषत कर दी गई। दर ान 4
पुजारी और 1 भंडारी को अंदर जाने की और िहंदुओ ं को
बाहर से दशन लेने की अनुमित दे दी गई। 1950 म महंत
रामचं परमहंस ारा यह िववािदत जगह िहंदुओ ं को
सौपं ने की मांग की गई। 1951 म सोमनाथ मंिदर की
पुन थापना की घोषणा, 1964 म िव िहंदू प रषद की
थापना, 1981 म मीना ीपुरम की घटना, ऐसी घटनाएं
घटती गई। दोनो ं समुदायो ं के बीच की धािमक अ ताएं
उ ािदत होने लगी| 1983 म एक धमस ेलन म दाऊ
दयाल ख ा ारा धम थलो ं की मु ता का उप थत
िकया गया। और 1984 म राम ज भूिम मु य
सिमित की थापना हो गई। राम ज भूिम की जगह
िहंदुओ ं को सौपं ने की मांग जोर पकड़ने लगी| 1986 म
ायालय के आदेशानुसार िववािदत भूिम का ताला खोला
गया। 1988 म िव िहंदू प रषद की बैठक म िववािदत
भूिम िहंदुओ ं को सौपं ने की मांग की गई। इस दौरान
त ालीन RSS सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने
बगलु म प कारो ं की बैठक म कहा िक,"िहंदू -मु म
के संबंधो ं म सुधार लाना हो तो अयो ा, काशी, मथुरा जैसे
मंिदरो ं पर मुसलमानो ं ारा िकया गया क ा हटा लेना
चािहए।" दर ान के काल म िहंदू और मुसलमानोकं े
संगठनो ं ारा लॉ गमाच, बैठको ं का दौर शु आ। 6
िदसंबर 1992 म िववािदत भूिम का ढांचा कार सेवको ं
ारा तोड़ा गया। और शु हो गई ायालय की लंबी
लड़ाई। 2010 म िववािदत भूिम को लखनऊ खंडपीठ ने
तीन भागो ं म बांट िदया। 2010-2017 तक दोनो ं प ो ं से
सहमित होने के यास जारी रहे। 2019 म सव
ायालय के काम म गित आई। अंितम िनणय की ओर
ारंभ आ। और 9 नवंबर 2019 को िहंदू प कारो ं के
प म िनणय िदया गया और म द के िलए अयो ा म
ही 5 एकड़ अलग से जगह देने का आदेश सु ीम कोट
ारा िदया गया|
अयो ा की राजनैितक पा भूमी :
1951 म सोमनाथ मंिदर की पुन थापना करने का
िनणय भारत सरकार ने िलया। 1964 म िव िहंदू प रषद
की थापना होने के साथ हीिहंदू समुदाय की भावनाओ ं
को बल िमला। 1988 के भाषण म अटलिबहारी वाजपेयी
ने कहा िक, "मु मो ंको िहंदुओ ं की भावनाओ ं का िवचार
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