NATION EVERYDAY
राजनीितक िवचारधारा होने की वजह से जनता पर यह
िवचार लाद नही ं सकते ऐसा दावा यािचकाकताओ ं ने
िकया है। 1976 म िकए गए इस बदलाव से संिवधान के
िस ांत, देश की ऐितहािसक धरोहर और सां ृ ितक
पृ भूिम इसके िवपरीत है ऐसा भी कहा गया है।
यािचकाकताओ ं के मु े :
समाजसेवी वीण कु मार और सव ायालय के
वकील क णेश कु मार शु ा और बलराम िसंह इ ोनं े
यह यािचका दायर की है। ेजटेशन ऑफ पीपल ए
1951 म समािव िकए गए इन श ो ं को हटाने की मांग
करते समय यािचकाकताओ ं का कहना है िक -
"लोकतांि क रा म िकसी भी नाग रक या राजनैितक
पािटयो ं की िवचारधारा पर संिवधान अंकु श नही ं लगा
सकता। राजनैितक पािटयो ं को रिज ेशन करते समय
धमिनरपे और समाजवादी िवचारधारा को सहमित
देना अिनवाय िकया है । ऐसा करना संवैधािनक ढांचे के
िवरोध म है। इसिलए इन दो श ो ं का उ ेख संिवधान से
हटना चािहए...।" ऐसी यािचकाकताओ ं की मांग है।
11