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किया और ऋग्वदेि पर अनुसनधान करके अनदे् अत्वष््ार कियदे । ऋषियों नदे उनहें आमंतत्त कर के आचार्य पद पर आसीन किया ।( ऐतरदेय ब्राह्ण 2 / 19)
( c) सतय्ाम जाबाल गणिका( ्वदे्या) के पुत् थदे परनतु ्वदे ब्राह्णत्व को प्रापत हुए ।
( d) राजा िक् के पुत् पृषध शूद्र हो गए थदे, प्रायश्चत स्वरुप तपसया करके उनहोंनदे मोक् प्रापत किया |( त्वष्णु पुराण 4 / 1 / 14) अगर उतिर रामायण की मिथया कथा के अनुसार शूद्रों के लिए तपसया करना मना होता तो पृषध यदे कैसदे कर पाए?
( e) राजा नदेतिष्ट के पुत् नाभाग ्वै्य हुए । पुनः इनके कई पुत्ों नदे क्तत्य ्वणमा अपनाया ।( त्वष्णु पुराण 4 / 1 / 13)
( f) धृष्ट नाभाग के पुत् थदे परनतु ब्राह्ण हुए और उनके पुत् नदे क्तत्य ्वणमा अपनाया ।( त्वष्णु पुराण 4 / 2./ 2)
( g) आगदे उनहींके ्वंश में पुनः कुछ ब्राह्ण हुए ।( त्वष्णु पुराण 4 / 2 / 2)
( h) भाग्वत के अनुसार राजपुत् अतनि्वदे्य ब्राह्ण हुए ।
( i) त्वष्णुपुराण और भाग्वत के अनुसार रथोतर क्तत्य सदे ब्राह्ण बनदे ।
( j) हारित क्तत्यपुत् सदे ब्राह्ण हुए ।( त्वष्णु पुराण 4 / 3 / 5)
( k) क्तत्यकुल में जनमें शौनक नदे ब्राह्णत्व प्रापत किया ।( त्वष्णु पुराण 4 / 8 / 1) ्वायु, त्वष्णु और हरर्वंश पुराण कहतदे हैं कि शौनक ऋषि के पुत् कर्म भदेि सदे ब्राह्ण, क्तत्य, ्वै्य और शूद्र ्वणमा के हुए । इसी प्रकार गृतसमद, गृतसमति और ्वीतहवय के उदाहरण हैं ।( l) मातंग चांडालपुत् सदे ब्राह्ण बनदे ।( m) ऋषि पुलसतय का पौत् रा्वण अपनदे
्मगों सदे राक्स बना ।( n) राजा रघु का पुत् प्र्वृद्ध राक्स हुआ ।( o) तत्शंकु राजा होतदे हुए भी ्मगों सदे
चांडाल बन गए थदे ।
( p) विश्वामित्र के पुत्ों नदे शूद्र ्वणमा अपनाया । विश्वामित्र स्वयं क्तत्य थदे परनतु बाद उनहोंनदे ब्राह्णत्व को प्रापत किया ।
( q) त्विुर दासी पुत् थदे तथापि ्वदे ब्राह्ण हुए और उनहोंनदे हशसतनापुर साम्ाजय का मंत्ी पद सुशोभित किया ।
( r) ्वतस शूद्र कुल में उतपन्न होकर भी ऋषि बनदे( ऐतरदेय ब्राह्ण 2 / 19)।
( s) मनुसमृति के प्रतक्पत ्लो्ों सदे भी पता चलता है कि कुछ क्तत्य जातियां, शूद्र बन गईं । ्वणमा परर्वतमान की साक्ी िदेनदे ्वालदे यह ्लो् मनुसमृति में बहुत बाद के काल में मिलाए गए हैं । इन परर्वततमात जातियों के नाम हैं – पौणड्रक, औड्र, द्रत्व्, कमबोज, य्वन, शक, पारद, पल्हव, चीन, किरात, दरद, खश ।
( t) महाभारत अनुसनधान प्वमा( 35 / 17- 18) इसी सूची में कई अनय नामों को भी शामिल करता है – मदे्ल, लाट, कान्वशिरा, शौशण््, दा्वमा, चौर, शबर, बर्बर ।
( u) आज भी ब्राह्ण, क्तत्य, ्वै्य और दलितों में समान गोत् मिलतदे हैं । इस सदे पता चलता है कि यह सब एक ही पू्वमाज, एक ही कुल की संतान हैं । लदेत्न कालांतर में ्वणमा व्यवसथा गडबडा गई और यह लोग अनदे् जातियों में बंट गए ।
शूद्रों के प्ति आदर:
महार्षि मनु परम मान्वीय थदे | ्वदे जानतदे थदे कि सभी शूद्र जानबूझ कर शिक्ा की उपदेक्ा नहीं कर सकतदे । जो किसी भी कारण सदे जी्वन के प्रथम प्वमा में ज्ान और शिक्ा सदे ्वंचित रह गया हो, उसदे जी्वन भर इसकी सज़ा न भुगतनी पड़े इसलिए ्वदे समाज में शूद्रों के लिए उचित सममान का त्वधान करतदे हैं । उनहोंनदे शूद्रों के प्रति कभी अपमान सूचक शबिों का प्रयोग नहीं
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