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कवर स्टोरी

डॉ. आंबेडकर ने पहचाना था मुस्लिम मानसिकता को

हिनदू काफ़िर सममान के योगय नहींeq

सलमानों के लिए हिनिू काफ़िर हैं, और एक काफ़िर सममान के योगय नहीं है । ्वह निम्न कुल में जनमा होता है, और उसकी कोई सामाजिक शसथति नहीं होती । इसलिए जिस िदेश में क़ाफिरों का शासन हो, ्वह मुसलमानों के लिए दार- उल-हर्ब है । ऐसी शसथति में यह साबित करनदे के लिए और सबूत िदेनदे की आवश्यकता नहीं है कि मुसलमान हिनिू सरकार के शासन को
स्वीकार नहीं करेंगदे ।( पृ. 304)
मुस्लिम भ्ािृभाव केवलि मुसलिमानों के तलिए
इसलाम एक बंद निकाय की तरह है, जो मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच जो भदेि यह करता है, ्वह बिल्ुल मूर्त और सपष्ट है । इसलाम का भ्रातृभा्व मान्वता का भ्रातृत्व नहीं है, मुसलमानों का मुसलमानों सदे ही भ्रातृभा्व मान्वता का भ्रातृत्व नहीं है, यह तो मुसलमानों का मुसलमानों सदे ही भ्रातृत्व है । यह बंधुत्व है,
परनतु इसका लाभ अपनदे ही निकाय के लोगों तक सीमित है और जो इस निकाय सदे बाहर हैं, उनके लिए इसमें सिर्फ घृणा ओर शत्ुता ही है । इसलाम का दूसरा अ्वगुण यह है कि यह सामाजिक स्वशासन की एक पद्धति है और सथानीय स्वशासन सदे मदेल नहीं खाता, कयोंकि मुसलमानों की तनष््ठा, जिस िदेश में ्वदे रहतदे हैं, उसके प्रति नहीं होती, बल्् ्वह उस धार्मिक त्व््वास पर निर्भर करती है, जिसका कि ्वदे एक हिससा है । एक मुसलमान के लिए इसके त्वपरीत या उल्टे सोचना अतयनत दुष्कर है । जहां कहीं
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