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राषट्र कमी एकता-अखंडता से अधिक महतिपमूण्ख होने अथवा दलों कमी सपधा्ख में समाज कमी सद्ािना एवं राषट्र गौरव और एकात्िा के गौण होने कमी कसथवि में भारत विरोधमी शक्ियां , ऐसमी ििमीय राजनमीवि में एक पक् कमी सहायता में खड़मी होकर पर्यायमी राजनमीवि के नाम पर , अपनमी विघ्टनकािमी गतिविधियों को आगे बढ़ाने कमी कार्यपद्धति को अपनािमी हैं । यह विशि के अनेक
सहिषणुिा एवं सद्ािना भारत कमी परंपरा है । असहिषणुिा एवं दुर्भावना भारत विरोधमी एवं मानव विरोधमी दुर्गुण है । इसलिए क्ोभ कितना भमी हो , असंयम से बचकर अपने लोगों को बचाना होगा । मन , वाणमी अथवा ककृवि से किसमी
विशव में सि्त और प्रतिष्ठित हो रहे भारत को अस्थिर करने की जारी कोशिशों पर चिंता प्कट करते हुए सरसंघचालक डा . भार्वत ने कहा कि र्त वषमों में देशहित की प्ेरणा से किए र्ए पुरुषाथि्ण से ही विशवपटल पर भारत की छवि , शक्त , कीर्ति एवं स्थान निरन्तर उन्नत हो रहा है । लेकिन इसके साथि ही देश के चारों तरफ के क्षेत्ों को अशांत एवं अस्थिर करने के प्रयास भी र्लत पकड़ते हुए दिखाई देते हैं ।
कमी श्द्धा , श्द्धासपि सथान , महापुरुष , ग्ंथ , अवतार , संत आदि का अपमान न हो , इसका धयान रखना होगा । सबसे ऊपर महति समाज कमी एकात्िा , सद्ाि एवं सदवयिहार का है । यह किसमी भमी काल में और किसमी भमी राषट्र के लिए परम सतय है तथा मनुषयों के सुरमी अकसिति तथा सहजमीिन का एकमारि उपाय है । समाज कमी सिसथ एवं सबल कसथवि कमी पहिमी शर्त सामाजिक समरसता तथा समाज के विभिन्न िगगों में परसपि सद्ाि होिमी है । कुछ संकेतात्क कार्यक्रम मारि करने से यह कार्य संपन्न नहीं होता है । परिकसथवि के कारण समाज के विभिन्न िगगों कमी आवशयकताएं सभमी िगगों को समझ में आनमी चाहिए । जिस प्रकार कु्टुंब में समर्थ घ्टक दुर्बल घ्टकों के लिए अधिक प्रावधान , कभमी- कभमी अपना नुकसान सहन करके भमी करते हैं , वैसे अपनेपन कमी दृष्टि रखकर ऐसमी आवशयकताओं का विचार होना चाहिए ।
राजनीतिक दलों की नकारातमक ्पधा्ण
बहुििमीय प्रजातांवरिक शासन प्रणािमी में सत्ा प्रापि करने के लिए राजनमीविक दलों कमी नकारात्क सपधा्ख पर व्टपपणमी करते हुए सरसंघचालक डा . भगवत ने कहा कि समाज में विद्यमान छो्टे सिाथ्ख , परसपि सद्ािना अथवा
8 uoacj 2024