जाति के आधार पर सफल नहीं होगा समाज को बांटने का कु चक्र : डा . भागवत
राष्ट्र जीवन को क्षति पहुंचाने के कु-प्रयासों से निपटना आवश्यक संस्कृतिजन््य जीवन दर्शन का विमर्श ही सि्त बनाएर्ा भारत को
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पनमी सथापना के 99 वर्ष पमूण्ख कर चुके राष्ट्रीय सियंसेवक संघ के सरसंघ चालक डा . मोहन भागवत ने देशवासियों से एकजु्ट होने का आह्ाहन करते हुए कहा है कि भारत का राषट्र जमीिन सांस्कृतिक एकात्िा एवं श्ेषठ सभयिा कमी सुदृढ़ आधारशिला पर रड़ा है । भाििमीय सामाजिक जमीिन उदात् जमीिन ्मूलयों से प्रेरित एवं पोषित है । ऐसे राषट्र जमीिन को क्वि पहुंचाने या नष्ट करने के कु-प्रयासों को समय पमूि्ख रोकना आवशयक है । देश के जागरूक समाज को ऐसे
कुप्रयासों को रोकने के लिए सा्मूवहक रूप से प्रयत्न करना होगा । इसके लिए भारत के संस्कृतिजनय जमीिन दर्शन तथा संविधान प्रित् मार्ग से लोकतंत्रीय मार्ग को अपनाकर एक सश्ि विमर्श रड़ा करना हमी होगा ्योंकि वैचारिक एवं सांस्कृतिक प्रिमूषण फैलाने वाले इन षड्ंरिों से समाज को सुिवक्ि रखना समय कमी आवशयकता है ।
विजयादश्मी पर्व के अवसर पर गत 12 अ््टटूबर को नागपुर कसथि संघ मुखयािय में राष्ट्रीय सियंसेवक संघ कमी सथापना के 100वें
वर्ष में प्रवेश करने पर हर्ष वय्ि करते हुए सरसंघचालक डा . भागवत ने कहा कि भाििमीय समाज में अनेक जाति िगगों का संचालन करने वािमी उनकमी अपनमी-अपनमी रचनाएं एवं संसथाएं भमी हैं । अपने-अपने जाति वर्ग कमी उन्नति , सुधार तथा उनके हित प्रबोधन का विचार इन रचनाओं के नेतृति के द्ािा किया जाता है । जाति बिराििमी के नेतृति करने वाले लोग मिल बैठकर विचार करेंगे तो समाज में सि्खरि सद्ािनापमूण्ख वयिहार का वातावरण बनेगा । समाज को बां्टने का कोई कुचक्र सफल हो नहीं सकेगा । उनहोंने कहा कि
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