धििमी आबा जनजािमीय समाज के गौरव हैं । उनहोंने न केवल देश कमी सिाधमीनता के लिए लोगों को संगठित किया , बकलक सनातन संस्कृति कमी रक्ा और जनजातियों के उतथान के लिए जमीिनपयांि संघर्षरत भमी रहे । भगवान बिरसा मुंडा भाििमीय इतिहास का एक ऐसा वयक्िति हैं , जिनके बारे में इतिहासकारों ने अपनमी-अपनमी सुविधानुसार उनके कायगों कमी अपनमी लेखनमी के माधय् से स्मीक्ा कमी । आज जब देश अपनमी सिाधमीनता का 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है , ऐसे में आवशयक हो जाता है कि सििंरििा संग्ा् के अमर बलिदानियों के ककृविति को पुनः पढ़ा जाए । धििमी आबा किसमी क्ेरि या समुदाय के नायक न होकर समसि भाििमीयों के महानायक हैं । धििमी आबा ने न केवल सिाधमीनता के लिए अंग्ेजों के विरुद्ध आंदोलन किए बकलक अपनमी सनातन संस्कृति कमी रक्ा के लिए भमी लोगों को जागरूक किया ।