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उनहोंने हमेशा अपने अनुयायियों को ज्ान के क्ेरि में उत्कृष्टता प्रापि करने के लिए प्रोतसावहि किया । शिक्ा मनुषय को प्रबुद्ध बनािमी है , उसे इस आत्-सम्ान के बारे में जागरूक कििमी है और उसे भौतिक रूप से बेहतर जमीिन जमीने में भमी मदद कििमी है ।
अछटूिों के पतन का एक कारण यह था कि उनहें शिक्ा के अधिकार से वंचित किया गया था । अछटूिों के बमीच शिक्ा को बढ़ािा देने के लिए डा . आंबेडकर ने जिला और सथानमीय अधिकारियों से दान और अनुदान के साथ पनवेल , पुणे , नासिक , शोलापुर , ठाणे और धारवाड़ जैसे विभिन्न सथानों पर अछटूि छारिों के लिए छारिािास सथावपि किए । डा . आंबेडकर अछटूिों के लिए अलग संसथान सथावपि करना चाहते थे । जुलाई 1945 में उनहोंने पमीपुलस एजुकेशन सोसाइ्टमी कमी सथापना कमी । उनके निरंतर संघर्ष से कुछ प्रगति हुई है । लेकिन कुछ कारणों से दलित वर्ग के लोगों में शिक्ा और साक्ििा अभमी भमी बहुत कम है । इस पर पहले से हमी बहुत धयान दिया जा रहा है , लेकिन अभमी बहुत िमूि कमी िमूिमी तय कमी जानमी है ।
सरकार दलित छारिों को छारििृवत् दे रहमी है । उनहें उच् शिक्ा के लिए विदेश जाने के लिए प्रोतसावहि किया जाता है । वयािसायिक और गैर-वयािसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के प्रावधान बोर्ड में रखे गए हैं । उनके लिए अलग-अलग बालिका छारिािास खोले गए हैं । पुसिक बैंक योजना शुरू कमी गई है और उनके द्ािा शैवक्क सुविधाओं के गैर-उपयोग के रासिे में आने वािमी कई समसयाएं धमीिे-धमीिे िमूि हो रहमी हैं । डा . आंबेडकर ने राजय के नमीवि वनिवेशक सिद्धांतों में अनुचछेि 45 को शामिल किया है कि राजय इस संविधान के प्रारंभ से दस वर्ष कमी अवधि के भमीिि , सभमी बच्ों के लिए चौदह वर्ष कमी आयु पमूिमी करने तक मुफि और अनिवार्य शिक्ा प्रदान करेगा ।
केनद्र सरकार ने शिक्ा का अधिकार अधिनियम-2008 पारित कर जन शिक्ा के लिए डा . आंबेडकर के योगदान को श्द्धांजलि िमी है । बुनियािमी शिक्ा प्रदान करने कमी केंद्र
सरकार कमी नमीवि विशेष रूप से अनुसमूवचि जाति , अनुसमूवचि जनजाति , वंचित स्मूहों , गिमीब िगगों और बालिकाओं पर केंद्रित है । सभमी को शिक्ा प्रदान करने के डा . आंबेडकर के सपने को पमूिा करने में कई समसयाएं हैं । शहिमी भारत और ग्रामीण भारत में प्राथमिक सिि से लेकर उच् शिक्ा तक ऐसमी नमीवियों को वासिविकता में बदलने कमी ततकाि आवशयकता है जो डा . आंबेडकर के सपने को साकार करने में मदद करें । वंचितों के लिए शिक्ा कमी समसया को िमूि करने के लिए यह आवशयक है ।
यह सुझाव दिया जा सकता है कि अधिकारियों को शिक्ा में दलित आबािमी कमी प्रभािमी भागमीिािमी के लिए सुविधाएं प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए । माता-पिता या अभिभावकों को शिक्ा के बारे में प्रेरित करने के लिए वयसक शिक्ा को प्रोतसावहि किया जाना चाहिए । माता-
पिता को उनके जमीिन में शिक्ा के महति के बारे में जागरूक करने के लिए किसमी प्रकार के परामर्श और मार्गदर्शन कमी वयिसथा कमी जानमी चाहिए । पारंपरिक वयिसायों को आधुनिक तकनमीकों के साथ फिर से विकसित किया जाना चाहिए । शैक्वणक संसथानों में ऐसे वयिसायों में रोजगार पाठ्यक्रम खोले जाने चाहिए । क्ेरि कार्य और सरकािमी सिवेक्ण ठमीक से किया जाना चाहिए और दलित लोगों के बमीच विकास कमी विभिन्न योजनाओं और उनकमी कसथवि को सुधारने और ऐसमी योजनाओं में भागमीिािमी के ििमीकों और साधनों के बारे में बड़े पैमाने पर प्रचार के लिए विशेष वयिसथा कमी जानमी चाहिए । दलित वर्ग के उतथान के लिए संविधान में किए गए प्रावधान को रेडियो , ्टेिमीविजन , समाचार परिों और िमीिार पोस्टर जैसे जनसंचार माधय्ों के माधय् से प्रचारित किया जाना चाहिए । �
24 uoacj 2024