Nov 2024_DA | Page 11

एवं दुर्बल होना दुष्टों के अतयाचारों को निमंरिण देता है और यह पाठ वैकशिक हिन्दू समाज को ग्हण करना हमी होगा ।
सांस्कृतिक परमपराओं को नष्ट करने का प्रयास
' डमीप स्टे्ट ', ' वोकिज् ', ' कलचिि माक्स्खस्ट ' जैसे शबिों कमी चर्चा करते हुए सरसंघचालक डा . भागवत ने कहा कि वासिि में यह सभमी सांस्कृतिक परमपिाओं के घोषित शरिु हैं । सांस्कृतिक ्मूलयों , परमपिाओं तथा जो भमी भद्र एवं मंगल माना जाता है , उसका स्मूि उचछेि इस स्मूह कमी कार्यप्रणािमी का अंग है । समाज को प्रभावित करने वाले तंरि एवं संसथानों
को अपने प्रभाव में लाना , उनके द्ािा समाज का विचार , संसकाि तथा आसथा को नष्ट करना , इस कार्यप्रणािमी का प्रथम चरण होता है । एक- साथ रहने वाले समाज में किसमी घ्टक को उसकमी कोई वासिविक या कृत्रिम िमीवि से उतपन्न कमी गई विशिष्टता , मांग , आवशयकता अथवा समसया के आधार पर अलगाव के लिए प्रेरित किया जाता है । उनमें अनयायग्सििा कमी भावना उतपन्न कमी जािमी है और असंतोष को हवा देकर उस घ्टक को शेष समाज से अलग , वयिसथा के विरुद्ध एवं उग् बनाया जाता है । समाज में प्रतयक् ्टकराव रड़े किए जाते हैं । वयिसथा , कानमून , शासन , प्रशासन आदि के प्रति अश्द्धा एवं द्ेष को उग् बना कर अराजकता एवं भय का वातावरण बनाया जाता है । इस तरह किसमी देश पर अपना वर्चसि सथावपि करना सरल हो जाता है ।
सं्कार क्षरण के दुष्परिणाम
विभिन्न तंरिों तथा संसथानों के विककृि प्रचार एवं कु-संसकाि से प्रभावित हो रहमी देश कमी नई पमीढ़मी के प्रति चिंता वय्ि करते हुए सरसंघ चालक डा . भागवत ने कहा कि बड़ों के साथ- साथ अब बच्ों के हाथों में भमी मोबाइल पहुंच गया है । बच्े मोबाइल पर ्या देख रहे हैं , इस पर कोई नियंरिण नहीं है । यह काफमी िमीभतस है । समाज में विज्ापनों तथा विककृि दृशय-श्वय सामग्री पर कानमून के कठोर नियंरिण कमी आवशयकता है । युवा पमीढ़मी में नशमीिे पदाथगों कमी आदत भमी समाज को अंदर से खोखला कर रहमी है । ऐसे में सभमी को अचछाई कमी ओर ले जाने वाले संसकाि पुनजतीवित करने होंगे ।
सं्कार जार्रण
संसकािों के क्िण को रोकने के लिए संसकाि प्रदान करने कमी भाििमीय वयिसथा को पुनसथा्खवपि , समर्थ एवं सक्् बनाने कमी आवशयकता पर जोर देते हुए सरसंघचालक डा . भागवत ने कहा कि शिक्ा पद्धति आजमीविका कमी शिक्ा देने के साथ-साथ वयक्िति विकास का भमी काम कििमी है । नई शिक्ा नमीवि में ऐसमी ्मूलय शिक्ा कमी
वयिसथा एवं तदनुरूप पाठ्यक्रम का प्रयास किया जा रहा है । लेकिन प्राथमिक शिक्ा से लेकर उच् शिक्ा तक वशक्कों के उदाहरण छारिों के सामने उपकसथि हुए बिना यह शिक्ा प्रभािमी नहीं होगमी । इसलिए वशक्कों के प्रवशक्ण कमी नई वयिसथा करनमी होगमी । साथ हमी समाज के वह प्रमुख लोग , जिनकमी लोकप्रियता के कारण अनेक लोग उनका अनुकरण करते हैं , उनके आचरण में यह दिखना चाहिए । समाज में चलने वाले विभिन्न प्रबोधन कायगों से यह ्मूलय प्रबोधन किया जाना चाहिए । घर में बड़ों का वयिहार , वातावरण और आत्मीयता यु्ि संवाद से यह शिक्ा संपन्न होिमी है । शिक्ा का ्मूिारमभ एवं उसके कारण बनने वािमी सिभाव प्रवृवत् िमीन से बारह वर्ष कमी आयु में घर में हमी बनिमी है । सि गौरव , देश प्रेम , नमीविमत्ा , श्ेयबोध , कर्तवयबोध आदि कई गुणों का निर्माण इसमी कालावधि में होता है । यह समझकर सभमी को यह कार्य सियं अपने घर से प्रारमभ करना पड़ेगा ।
शक्त का महतव
सरसंघ चालक डा . मोहन भागवत ने कहा कि आज भारत में सामानय समाज को जाति , भाषा , प्रानि आदि छो्टमी विशेषताओं के आधार पर अलग करके ्टकराव उतपन्न करने का प्रयास जािमी है । छो्टे सिाथ्ख एवं छो्टमी पहचानों में उलझकर सर पर मंडराते बड़े संक्ट को समाज समझ न सके , ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं । समी्ा से लगे पंजाब , जम्मू-कश्मीर , लद्ार , केरल , तमिलनाडु तथा बिहार से मणिपुर तक का सम्पूर्ण पूर्वांचल असिसथ है । देश में कट्टरपन को उकसाने वािमी घ्टनाओं में भमी अचानक वृद्धि दिखाई दे रहमी है । परिकसथवि या नमीवियों को लेकर असंतुष्टि होने पर उनका विरोध करने के लिए प्रजातांवरिक मार्ग के सथान पर हिंसा पर उतर आना , समाज के एकाध विशिष्ट वर्ग पर आक्रमण करना , हिंसा पर उतारू होना , भय पैदा करने का प्रयास करना या उकसाने के प्रयास योजनाबद्ध ििमीके से किए जा रहे हैं । ऐसे हमी आचरण को बाबासाहब डा . भमी् राव
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