May 2025_DA | Page 17

हिससों में लैंगिक समानता को मात््यता नहीं दी गई थी ।
्युवा पीढ़ी से इन राष्ट्रीय प्रतीकों के आदशषों पर चिलने का संकलप लेने का आह्ान करते हुए केंद्रीय मंरिी मांडमव्या ने ्युवाओं के नेतृतव वाले राष्ट्रीय विकास के महतव को दोहरा्या । उन्होंने माननी्य प्रधानमंरिी नरेन् द् मोदी के मनणाता्यक नेतृतव की सराहना की और ्युवाओं से एक मजबदूत, आतममनभतार और समावेशी विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंरिी द्ारा परिकल्पित पंचिप्राण के साथ खुद को जोड़ने का आह्ान मक्या ।
ज्य भीम पद्यारिा का आ्योजन देश के हर राज्य की राजधानी सहित पांचि हजार स्ानों पर मक्या ग्या । ्यारिा के दौरान माई भारत के स्वयंसेवकों ने डा. आंबेडकर की मदूमतता्यों की सफाई करके श्रद्धांजलि अर्पित की, जिससे समावेशी, सशकत और ्युवा-नेतृतव वाले भारत के निर्माण के लिए सामदूमहक प्रतिबद्धता को बल
मिला । उललेखनी्य है कि केंद्रीय ्युवा मामले और खेल राज्य मंरिी श्रीमती रक्ा निखिल खडसे ने मुंबई में ज्य भीम पद्यारिा में भाग मल्या, जिससे एकता और राष्ट्रीय भागीदारी का संदेश और अधिक बढ़ ग्या ।
्युवा उपलब्धि प्रापत करने वालों और माई भारत स्वयंसेवकों द्ारा संविधान की प्रसतावना का सामदूमहक वाचिन संवैधानिक मदूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की पुन््ट करता है । माई भारत ्युवा स्वयंसेवकों ने पद्यारिा में समक्य रूप से भाग मल्या और ऊर्जावान और हृद्यसपशमी नारों के माध्यम से सामाजिक सद्ाव, लोकतांमरिक मदूल्यों और समावेशी प्रगति की भावना को प्रतिधवमनत मक्या ।
पद्यारिा के दौरान कई स्ानों पर सांस्कृतिक का्यताकम हुए, जिसमें माई भारत के स्वयंसेवकों ने डा. आंबेडकर को समर्पित गीत गाए, जिससे पद्यामरि्यों में जोश और उतसाह भर ग्या । मार्ग में प्रतिभामग्यों को जलपान वितरित मक्या ग्या,
ताकि उनकी सुविधा और सवासथ्य सुमनन््चित हो सके । नागरिक जिममेदारी के एक मजबदूत प्रदर्शन में, माई भारतके स्वयंसेवकों को समक्य रूप से मार्ग की सफाई करते हुए देखा ग्या, जो पदूरे पद्यारिा के दौरान सेवा की भावना को दर्शाता है ।
पटना उच् त््या्याल्य के निकट पद्यारिा के समापन पर डा. मनसुख मांडमव्या ने अत््य नेताओं के साथ डा. आंबेडकर की प्रतिमा के आसपास सफाई अमभ्यान में हिससा मल्या । इसके बाद उन्होंने बाबासाहब की तसवीर पर माल्यार्पण मक्या और भारती्य संविधान के निर्माता को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । सभी उपस्थित गणमात््य लोगों ने पु्पांजलि अर्पित कर सामदूमहक सममान के साथ ्याद मक्या । इस अवसर पर बिहार के उपमुख्यमंरिी सम्राट चिौधरी, विज्य कुमार सिन्हा, रविशंकर प्रसाद, नितिन नबीन सहित कई अत््य गणमात््य लोगों उपस्थित रहे I

साहहत् अकादमी ने आयोजित किया दलित चेतना कार्यक्रम

MkW

बाबासाहब आंबेडकर की ज्यंती के अवसर पर साहित्य अकादमी द्ारा दलित चिेतना नामक का्यताकम का आ्योजन मक्या ग्या, जिसमें छह प्रमतन््ठत लेखकों ने अपनी रचिनाओं का पाठ मक्या । अपनी प्रस्तुतियों में, सभी ने डा. आंबेडकर की बुमन्यादी शिक्ाओं और उनके उस विजन पर प्रकाश डाला, जिसकी सहा्यता से एक भेदभाव, मुकत समाज का निर्माण मक्या जा सकता है ।
राजधानी दिलली स्थित रविंद् भवन में गत 14 अप्रैल को आ्योजित का्यताकम में सबसे पहले, ममता ज्यंत ने अपनी पांचि कविताएं प्रसतुत कीं, जिनके शीर्षक थे‘ सभी ने छुआ था’,‘ जीवित इमारतें’,‘ ई्वर’,‘ नहीं चिाहिए’
और‘ बहेमल्यों के नाम’। नामदेव ने अपनी कविताएं‘ बाबा भीम’,‘ गाड़ीवान’,‘ कुआं’ और‘ पहचिान’ पढ़ीं, जो डा. आंबेडकर के सपनों की वर्तमान स्थिति को दर्शाती हैं । नीलम की कविताओं के शीर्षक थे‘ सबसे बुरी लड़की’,‘ नई दुमन्या के रचिम्यता’,‘ तुमहारी उममीदों पर खरे उतरेंगे हम’ और‘ उठो संघर्ष करो’। कविता‘ सबसे बुरी लड़की’ ने महिलाओं के अधिकारों
और समानता के संघर्ष को प्रेरित मक्या ।
इसी तरह महेंद् सिंह बेनीवाल ने‘ तसवीर’,‘ और कब तक मारे जाओगे’,‘ भेड़िया’ और‘ आग’ शीर्षक वाली कविताएं पढ़ीं, जिन्होंने आधुनिक समाज की दोहरी मानसिकता को बहुत ही सटीक रूप से सामने रखा । टेकचिंद द्ारा प्रसतुत कहानी का शीर्षक‘ गुबार’ था । इसमें दलितों के कुछ समुदा्यों के बीचि अज्ानता की गहरी जड़ों को बहुत ही सरल तरीके से दिखा्या ग्या । पदूरन सिंह ने अपनी कहानी‘ हवा का रुख’ पढ़ी, जो मवमभन् दबावों के परिणामसवरूप एक लेखक द्ारा किए जाने वाले समझौते की विडंबना पर केंमद्त थी । का्यताकम में बड़ी संख्या में लेखक, परिकार और छारि उपस्थित थे । �
ebZ 2025 17