वंमचित, शोषित, उन सबके लिए बहुत महतवपदूणता दिवस है । उनके जीवन में तो ्यह ददूसरी दिवाली होती है । आज संविधान निर्माता बाबासाहब आंबेडकर की ज्यंती है । उनका जीवन, उनका संघर्ष, उनका जीवन संदेश, हमारी सरकार की ग् ्यारह साल की ्यारिा का प्रेरणा सतंभ बना है । केंद् सरकार गरीब कल् ्याण और सामाजिक न् ्या्य सुमनन््चित कर रही है और ्यही बाबासाहब का सपना था और संविधान निर्माताओं की ्यही आकांक्ा थी । देश के लिए मरने-मिटने वालों का भी ्यही सपना था । प्रधानमंरिी ने कहा कि उनकी सरकार बाबा साहब के मवचिारों को आगे बढ़ाते हुए चिल रही है ।
कांग्ेस की नीमत्यों पर प्रश्न खड़ा करते हुए प्रधानमंरिी मोदी ने कहा कि ्यह कभी भदूलना नहीं है कि कांग्ेस ने बाबासाहब आंबेडकर के साथ क् ्या मक्या? जब तक बाबासाहब जीवित थे, कांग्ेस ने उन्हें अपमानित मक्या । दो-दो बार उन्हें चिुनाव में हरवा्या और कांग्ेस की पदूरी सरकार उनको उखाड़ फेंकने में लगी थी । उनको सिस्टम से बाहर रखने की साजिश की गई । जब बाबासाहब हमारे बीचि नहीं रहे, तो कांग्ेस ने उनकी ्याद तक मिटाने की कोशिश की । कांग्ेस ने बाबासाहब के मवचिारों को भी हमेशा के लिए खतम कर देना चिाहा । डा. आंबेडकर संविधान के संरक्क थे । लेकिन कांग्ेस संविधान की भक्क बन गई है । डा. आंबेडकर समानता लाना चिाहते थे, लेकिन कांग्ेस ने देश में वोट बैंक का वा्यरस फैला मद्या ।
उन्होंने कहा कि बाबासाहब ने गरीब और वंमचित वर्ग के लोगों को गरिमा से जीने का सपना देखा था । लेकिन कांग्ेस ने अनुसदूमचित जाति( एससी), अनुसदूमचित जनजाति( एसटी) और अत््य पिछड़ा वर्ग( ओबीसी) को ददूसरी श्रेणी का नागरिक बना मद्या । कांग्ेस के लंबे शासनकाल में कांग्ेस नेताओं के घर में स्विमिंग पदूल तक पानी पहुंचि ग्या, लेकिन गांव में नल से जल नहीं पहुंचिा ।
उन्होंने बता्या कि सवतंरिता के सत्र वर्ष बाद भी गांवों में सिर्फ 16 प्रतिशत घरों में नल से जल आता था । इससे सबसे ज्यादा प्रभावित
एससी, एसटी, ओबीसी थे । लेकिन उनकी सरकार ने छह से सात वर्ष में बारह करोड़ से ज़्यादा ग्ामीण घरों में नल कनेकशन दिए हैं । आज गांव के 80 प्रतिशत घरों में ्यानी पहले 100 में से 16, आज 100 में से 80 घरों में नल से जल आता है । ्यह बाबासाहब का आशीर्वाद है और हम हर घर तक नल से जल पहुंचिाएंगे । इसी तरह शौचिाल्य के अभाव में भी सबसे बुरी स्थिति एससी, एसटी, ओबीसी समाज की ही थी और उनकी सरकार ने ग्यारह करोड़ से ज्यादा शौचिाल्य बनवाकर, वंमचितों को गरिमा का जीवन मद्या । कांग्ेस के सम्य में एससी, एसटी, ओबीसी के लिए बैंक का दरवाजा तक नहीं खुलता था । बीमा, लोन, मदद, ्यह सारी बातें, सब सपना था । लेकिन अब जनधन खातों के सबसे बड़े लाभा्मी एससी, एसटी, ओबीसी
वर्ग के लोग हैं ।
कांग्ेस ने हमारे पमवरि संविधान को, सत्ा हासिल करने का एक हम््यार बना मद्या । जब-जब कांग्ेस को सत्ा का संकट दिखा, उन्होंने संविधान को कुचिल मद्या । कांग्ेस ने आपातकाल में संविधान की स्पिरिट को कुचिला, ताकि जैसे-तैसे सत्ा बनी रहे । संविधान की भावना है कि सबके लिए एक जैसी नागरिक संहिता हो, जिसे मैं कहता हदूं सेक् ्युलर सिविल कोड, लेकिन कांग्ेस ने इसे कभी लागदू नहीं मक्या । उत्राखंड में, भाजपा सरकार आने के बाद सेक् ्युलर सिविल कोड, समान नागरिक संहिता, ्ये लागदू हुई, डंके की चिोट पर लागदू हुई और देश का दुर्भाग्य देखिए, संविधान को जेब में लेकर के बैठे हुए लोग, संविधान पर बैठ गए हुए लोग, ्ये कांग्ेस के लोग उसका भी विरोध
ebZ 2025 11