तक हम अपने सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में समानता को असिीकार करते रहेंगे ? यदि हम लंबे समय तक इसे अस्वीकार करते रहे तो अपने राजनीतिक लोकतंत् को ही कमजोर करते जाएंगे । हमको शीघ्र इस विरोधाभास को दूर करना होगा अनयथा असमानता के शिकार लोग उ्ठ खड़े होंगे और राजनीतिक लोकतंत् के ढांचे को गिरा देंगे जिसको संविधान सभा ने बड़े परररिम से खड़् किया है ।
डॉ . आंबेडकर ने जो सवाल उ्ठ्ए हैं , वे आज भी प्रासंगिक हैं । हमने राजनीतिक लोकतंत् को सुवरसशचि करने में सफलता पाई है । आज हर वयसकि अपने मताधिकार का इसिेमाल कर रहा है । सवाल यह है कि सामाजिक लोकतंत्
जिसमें समानता , सििंत्ि् एवं बंधुति के सिद्धांत निहित होने की जो बात आंबेडकर ने कही है , उसको हम कहां तक सुवरसशचि कर पाए हैं । यदि अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है तो बाधाएं कहां हैं । बाधाओं को आपसी सहमति और दलगत राजनीति से ऊपर उ्ठकर कैसे दूर किया जा सकता है । साथ ही हमें यह भी विचार करना चाहिए कि 21वीं सदी में जब उतप्दन के साधन बदलते जा रहे हैं और पूजींवाद को अंतिम सच्चाई मान लिया गया है तो आर्थिक लोकतंत् कैसे सुवरसशचि होगा ।
पूंजीवाद का मानवीय सिरूप कैसे बने और समावेशी विकास कैसे हो , जिससे आर्थिक लोकतंत् की सथ्पना हो सके । राजनीतिक
लोकतंत् के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक लोकतंत् को सथ्वपि करने में यदि हम सफल होते हैं तो भारत को सिरमौर बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है । डॉ . आंबेडकर भी इसी ओर इशारा करते नजर आ रहे हैं । साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो इसने भी डॉ . आंबेडकर के उकि वयकितिों के उद्ेशयों को पूरा करने को अपनी जिममेदारी माना । प्रधानमंत्ी मोदी ने न केवल राजनीतिक लोकतंत् बसलक सामाजिक और आर्थिक लोकतंत् को मजबूत करने की दिशा में कई कार्य किए । सरकार ने पिछड़् आयोग को सांविधानिक दर्जा दिया और दलित समुदाय पर अतय्चार के खिलाफ कानून को मजबूत बनाने का कार्य किया ।
इन दोनों क्ययों से सामाजिक लोकतंत् को बल मिला है । मोदी सरकार द््रा शुरू की गई आयुषम्र भारत , उज्जवला , जनधन , मुद्रा , सट्ट्टअप , प्रधानमंत्ी आवास आदि योजनाएं डॉ . आंबेडकर और संविधान के सामाजिक आर्थिक उद्ेशयों को ही पूरा करती हैं । मुद्रा और स्टैंडअप योजना के माधयम से बड़ी संखय् में अनुसूचित जाति / जनजाति के लोगों ने वय्पार करने के लिए आर्थिक सहयोग प्राप्त किया है । उज्जज्वला योजना का बड़् लाभ गरीबी रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को मिला है । इसी तरह आयुषम्र भारत योजना का लाभ भारत के लगभग 50 करोड़ लोगों तक पहुंचा है । इसमें बड़ी संखय् अनुसूचित और पिछली जाति के लोगों की है ।
कभी भी भ्रषट्चार का सबसे शिकार समाज का सबसे कमजोर तबका ही होता था । मौजूदा सरकार ने जन-धन खाते खोलकर और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभ्थटी के खाते में भेजकर सामाजिक और आर्थिक नय्य की दिशा में बड़् काम किया है । भीम एप के जरिए डिजिटल लेन-देन को बढ़्ि् देने का फैसला डॉ . आंबेडकर को सच्ी रिद्ध्ंजलि है । सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ बनी मोदी सरकार डॉ . आंबेडकर के सामाजिक आर्थिक लोकतंत् के लक्य को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है । �
ebZ 2023 7