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कांग्ेस नेता सिगटीय इंदिरा गांधी ने िरयों तक " गरीबी हटाओ " का नारा देते हुए सत्ता का सुख उ्ठ्या , पर देश से गरीबी नहीं समापि हुई ? गरीबी के मकड़जाल में फंसे दलित , वनवासी और अनय पिछड़े वर्ग को संवैधानिक रूप से आरक्षण की सुविधा का लाभ तो दिया गया , लेकिन उनकी सामाजिक-आर्थिक ससथवि में कोई बदलाव आया ही नहीं ।
वासिि में सििंत्ि् के बाद से कांग्ेस ने सियं को सत्ता के केंद्र में रखने के लिए हिनदू समाज को जहां उच्-निम्न जातियों में बांट दिया , वहीं विभिन्न पंथों एवं महजब की कट्रता के आधार पर गैर हिनदू जनता को बांट कर कांग्ेस दलित , मुससलमों और ईसाई समूह की मसीहा बन गयी । कांग्ेस की हिनदू विरोधी रणनीति में हिनदू धर्म एवं संस्कृति के कट्र विरोधी वामदलों ने उनका भरपूर साथ दिया । परिणामसिरुप देश के हर राजय में यानी उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पसशचम राजयों तक जातिगत मसीहा बनकर सत्ता का सुख लेने वाले विभिन्न राजनेता , राजनीतिक दल एवं संघ्ठर का एक ऐसा जमावड़ा लग गया , जिसने जाति- पांति , पंथ , तुसषटकरण , क्षेत्ि्द एवं परिवारवाद के मुद्े से देश को बाहर निकलने नहीं दिया । सत्ता सुख उ्ठ्रे के साथ ही भ्रषट्चार एक तरह से सरकारी नीतियों का हिसस् बन गया , जिसका प्रतयक्ष परिणाम जमानत पर घूम रही कांग्ेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के रूप में सपषट रूप से देखा जा सकता है ।
2014 से बदली देश की तस्ीर
2014 में भाजपा नेता नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभाली तो देश की ससथवि बेहद ख़राब थी । पूरे देश में सामाजिक , राजनीतिक और आर्थिक मोचचे पर असंतोष फैला हुआ था । लेकिन प्रधानमंत्ी मोदी ने विकासवादी राजनीति से देश को परिचित कराया और हर मोचचे पर काम करना शुरू किया । देश के अंदर विकासवादी राजनीति के कारण हर मोचचे पर विकास की जो प्रक्रिया शुरू हुई , उसकी उममीद न तो जनता ने की थी और न ही भाजपा विरोधी दलों ने । इसके बावजूद
विकास के रासिे पर सकारातमक रूप से भारत को लेकर चलने में सफल हुए प्रधानमंत्ी मोदी की नीतियों और विकासवादी एजेंडे का विरोध करने वालों को मानसिक रूप से बीमार बना दिया । यही है कि विपक्षी नेताओं के पास मोदी सरकार की आलोचना करने का कोई बहाना नहीं बचा तो विपक्षी नेता गलत बयानी , झू्ठे एवं मनगढ़ंत आरोप एवं अपशबदों का सहारा लेने के लिए एकजुट हो गए । लेकिन विपक्ष के गलत आरोपों , गालियों और अपशबदों से बेअसर प्रधानमंत्ी मोदी अपनी गति से विकास रथ को आगे लेकर चलते रहे । इस दौरान विरोधी दलों द््रा मोदी विरोध के लिए अपनाए जा रहे नए- नए हथकंडों को देश की जनता ने भी देखा ।
नौ वर्षों में आम आदमी की आय हुई दोगुना
र्षट्ीय सांसखयकी कार्यालय ( एनएसओ ) द््रा 2023 में जारी किए आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में पहली बार शपथ ली थी , तब भारत की प्रति वयसकि आय 86,467 रुपए थी , जो अब बढ़कर 1.72 लाख रुपए हो गई है । एनएसओ के नए आंकड़ों के अनुसार मोदी सरकार के लगभग एक दशक के कार्यकाल में यह उपलसबध हासिल की गई है । जानकारी हो कि देश में एनएसओ आंकड़ों और सांसखयकी के लिए सबसे प्रतिष्ठित संसथ्र है और देश के विकास का विशलेरण करने के
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