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तंत्ता के बाद से उपेलक्त जनजातीय समाज को अब देश की मुख्धारा का हिससा बनने का सुनहरा अवसर मिला है । केंद् में सत्ारूढ़ प्रधानमंत्ी नरेंद् मोदी के नेतृतव वाली केंद् सरकार के दस वरटी् कार्यकाल में ' संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण ' के द्ारा जनजातीय कल्ाण के लिए अथक प्रयास किए गया , जिसके सुखद परिणाम अब दृष्टिगत होने लगे हैं । दस वर्ष के दौरान मोदी सरकार देश के सुदूर क्ेत्ों में रहने वाली वनवासी लोगों तक पहुंचने और उनकी संसकृलत , परंपराओं और विरासत की रक्ा करते हुए उनका बहुआयामी विकास सुलनसशित करने के लिए प्रतिबद्ध रही है । दस वर्ष के दौरान आदिवासी कल्ाण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण एक वनवासी महिला को देश की राष्ट्रपति बनने के अभूतपूर्व अवसर प्रापत हुआ ।
जनजातीय कार्य मंत्ाि् का बजट पिछले दस वरगों में तीन गुना बढ़कर 12,461 करोड़ रुपए हो गया , जबकि अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना ( डीएपीएसटी ) निधि आवंटन में 5.5 गुना की वृद्धि हुई , जो 1.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया । इसी प्रकार
' संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण ' से जनजातरीय समाज का समग्र विकास
एकलव् मॉडल आवासीय विद्यालय ( ईएमआरएस ) योजना का बजट आवंटन पिछले दस वरगों में 21 गुना बढ़कर 5,943 करोड़ रुपए हो गया । 2013-14 में 34,365 छात्ों की तुलना में 2023-24 तक 402 कार्यरत स्कूलों में 1,32,275 से अधिक वनवासी छात् नामांकित थे । आगामी तीन वरगों में 40,000 से अधिक लशक्कों की भतटी करने का लक्् रखा गया है , जिनमें से दस हजार लशक्कों की भतटी की जा
चुकी है । तीस लाख से अधिक आदिवासी छात्ों को हर साल मंत्ाि् के तहत विभिन्न छात्वृलत््ां मिलती हैं और पिछले दस वरगों में मंत्ाि् के तहत 18,000 करोड़ रुपये की छात्वृलत् वितरित की गई है ।
इसी प्रकार वनवासी क्ेत्ों में 3958 वन धन विकास केंद् सवीकृत किए गए हैं , जिससे 11.83 लाख वनवासियों उद्यमियों को लाभ होगा । इसके अलावा 87 लघु वन उतपादों को
न्ूनतम उचित मूल् ( एमएफपी ) में शामिल किया गया है । जानकारी के अनुसार वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत कुल भूमि कवरेज 2023-24 तक तीन गुना बढ़कर 181 लाख एकड़ हो गई है , जबकि 2013-14 में यह 55 लाख एकड़ थी । पीवीटीजी आबादी वाले राज्ों को पिछले दस वरगों में 5000 से अधिक बहु-विषयक आदिवासी विकास योजनाओं के तहत 25,000 करोड़ रुपए से
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