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में संकोच नहीं कर रहे हैं । राष्ट्र जीवन के हर क्ेत् में सत्ा पिपासुओं का बोलबाला है । सब प्राकर के कानून विरोधी , जनतंत् विरोधी , विघटन परक , हिंसातमक तंत्ों व नीतियों का निर्लज्ज प्रयोग धड़लिे से किया जा रहा है । चिंता की बात यह है कि भारत को टुकड़े-टुकड़े करने के लिए हो रही साजिशों के पीछे वह विदेशी ताकतें भी हैं , जो विकास के कदम पर लगातार बढ़ रहे भारत के विकास को रोकने और अपने हितों को पूरा करने के लिए लगातार सलरिय हैं और पूरे देश को एक बार फिर हिंसा की आग में झोंकने के लिए उतारू है । कहना गलत नहीं लगता कि अंग्ेजों ने तो 200 साल तक भारत की जनता को बांट कर राज किया था , लेकिन
अब 70 वर्ष बाद एक बार फिर देश के भीतर छुपे गद्ार अपनी राजनीति चमकाने के खातिर देश को जातियों में खंड-खंड बांटना चाहते है ।
सवतंत् भारत में 2014 के पहले तक हिनदू समाज बंटा हुआ था । कांग्ेस ने 70 वरगों में जातिवाद का जहर घोला और आगे भी इसे जारी रखने की फ़िराक में है । 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ कांग्ेस के जातिवाद के गढ़ में सेंध लग गयी और नरेनद् मोदी के नेतृतव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायीं । यह बहुमत देश के अंदर पैदा हुई हिनदू एकता के कारण मिला । यही वजह है कि देशविरोधी ताकतें झटपटा रही हैं । यह झटपटाहट असहिष्णुता , अवार्ड वापसी ,
रोहित वेममुिा , ऊना काणड , भारत तेरे टुकड़े होंगे , जाट आनदोिन , गुजरात पटेल आनदोिन के रूप में देखी जा सकती है । ऐसे वकत में ऐसे देशविरोधी , समाज विरोधी ततवों का मुकाबला करना होगा और यह काम जाति-पांति से ऊपर उठकर करना होगा ।
कानून पर शंका की गु ंजाइश नहीं
दलितों को अधिकार देने के लिए मोदी सरकार ने जिस नागरिकता संशोधन कानून पर शंका करने की गुंजाइश नहीं है । कारण यह है कि नागरिकता ( संशोधन ) कानून से भारत के किसी नागरिक ( हिनदू , मुसलमान , छात्-छात्ाएं ,
20 ekpZ 2024