Mai aur Tum मैं और तुम | Page 21

भीड़ में अपने ही सब लोग है ताली बजाने वाले । मैं जजसे अपने सुख द ुः ु ख का साथी समझ बैठा था , वही सब लोग थे पदे के पीछे से सुई चुभोने वाले । प री द त ु नया के सामने जोकर बनकर हूँसाता था मैं , वही तनकले मुझे ख न के आंस रुलाने वाले । मैंने लगी आग को बुझाने बुलाया जजस जजस को , वही सब लोग थे मेरे घर को जलान वाले ।