भीड़ में अपने ही सब लोग है ताली बजाने वाले ।
मैं जजसे अपने सुख द ुः ु ख का साथी समझ बैठा था ,
वही सब लोग थे पदे के पीछे से सुई चुभोने वाले ।
प री द त ु नया के सामने जोकर बनकर हूँसाता था मैं ,
वही
तनकले मुझे ख न के आंस
रुलाने वाले ।
मैंने लगी आग को बुझाने बुलाया जजस जजस को ,
वही सब
लोग
थे मेरे
घर को जलान
वाले ।