भध्मप्रदे शसॊस्कृतत
प्राथमभक ववऩणन समभततमों क अॊश
े
क भाध्मभ से उऩबोग/साभाजजक
े
भर से ज्मादा दे म ब्माज हे तु
ू
खयीदने/सदस्म
उऩबोग ऋण
अनदान (दाभदऩट मोजना)
ु
ु
मरमे अनसधचत जातत/जनजातत क
े
ु ू
मोजना का उद्दे श्म औय स्वरूऩ-
मोजना का उद्दे श्म औय स्वरूऩ-
सदस्मों को अनदान
ु
अनसर्चत
ु ू
क
े
अनसर्चत जातत/जनजातत िगि क
े
ु ू
मोजना का उद्दे श्म औय स्वरूऩ- इस
सदथमों को शोर्ण से फचाने क लरए
े
कृर्कों द्िाया 10 िर्ि से अनार्धक
मोजना
मह
अिर्ध क ऋणों ऩय भर से ज्मादा
े
ू
भें
फनने
प्राथलभक
क
े
विऩणन
जातत/जनजातत
व्मिथथा
की
गई
है
कक
सलभततमों क अॊश खयीदने/सदथम
े
साभास्जक कामिक्रभों को सॊऩन्न
ब्माज की िसरी न कयना।
ू
फनने क लरमे प्रत्मेक अनसर्चत
े
ु ू
कयने क लरमे ऐसे िगि क सदथम को
े
े
कामकऺेत्र- सॊऩणि भध्मप्रदे श मोजना
ू
जातत/जनजातत क सदथम को 100
े
500 रुऩमे की सीभा तक उऩबोग
का कामिऺेत्र है ।
रुऩमे क भान से अनदान क रूऩ भें
े
े
ु
ऋण उऩरब्ध कयामा जाता है ।
द्रहतग्राही चमन प्रकक्रमा- अनसर्चत
ु ू
सहामता उऩरब्ध कयिामी जाती है ।
कामकऺेत्र- सॊऩणि भध्मप्रदे श मोजना
ू
जातत/जनजातत िगि क कृर्कों क 10
े
े
कामकऺेत्र- मोजना का कामिऺेत्र सॊऩणि
ू
का कामिऺेत्र है ।
िर्ि से अनर्धक अिर्ध क ऋण की
े
भध्मप्रदे श है ।
ऩात्र द्रहतग्राही- अनसर्चत
ु ू
दे म यालश स्जसभें भर से ज्मादा
ू
क
े
जातत/जनजातत का सदथम, स्जस
ब्माज हो गमा हो, इस मोजना
क
े
ऩैतस/रैम्ऩस का सदथम है , िह
अॊतगित चमतनत ककमे जाते हैं।
व्मस्तत।
अऩनी सॊथथा को आिेदन कय सॊथथा
मोजना कक्रमान्वमन
सॊऩक- प्रफॊधक, प्राथलभक विऩणन
क
की ओय से यालश प्राप्त कय सकता है ।
सदथम की फकामा भर से ज्मादा
ू
सहकायी सलभतत।
इस यालश को थिीकृत कयने का
ब्माज की यालश क अन्तय की
े
अर्धकाय सॊथथा का है ।
प्रततऩतति सॊथथा को शासन द्िाया की
ू
ऩात्र द्रहतग्राही अनसर्चत
ु ू
सॊऩणि
ू
याज्म
जातत/जनजातत
अनसधचत जातत/जनजातत
ु ू
सदस्मों
को
क
े
ऩैक्स/रैम्ऩस
अनसधचत जातत/जनजातत
ु ू
क
े
प्रकक्रमा- ऋणी
जाती है ।
सदस्मों क अल्ऩावधध ऋणों ऩय
े
वन
रोक वातनकी क भाध्मभ से ग्राभीणों
े
मोजना
प्रकक्रमा-
ऩरयर्ध क ग्राभों को होती है । इन ग्राभों
े
औय ऩॊचामतों की आम
मोजना का कक्रमान्िमन िन विबाग
को उऩरब्धता क आधाय ऩय िनोऩज
े
उद्दे श्म- तनजी तथा याजथि बलभ ऩय
ू
औय याजथि विबाग क सहमोग स