madhya pradesh sanskriti MARCH 2014 | Page 28

भध्मप्रदे शसॊस्कृतत प्राथमभक ववऩणन समभततमों क अॊश े क भाध्मभ से उऩबोग/साभाजजक े भर से ज्मादा दे म ब्माज हे तु ू खयीदने/सदस्म उऩबोग ऋण अनदान (दाभदऩट मोजना) ु ु मरमे अनसधचत जातत/जनजातत क े ु ू मोजना का उद्दे श्म औय स्वरूऩ- मोजना का उद्दे श्म औय स्वरूऩ- सदस्मों को अनदान ु अनसर्चत ु ू क े अनसर्चत जातत/जनजातत िगि क े ु ू मोजना का उद्दे श्म औय स्वरूऩ- इस सदथमों को शोर्ण से फचाने क लरए े कृर्कों द्िाया 10 िर्ि से अनार्धक मोजना मह अिर्ध क ऋणों ऩय भर से ज्मादा े ू भें फनने प्राथलभक क े विऩणन जातत/जनजातत व्मिथथा की गई है कक सलभततमों क अॊश खयीदने/सदथम े साभास्जक कामिक्रभों को सॊऩन्न ब्माज की िसरी न कयना। ू फनने क लरमे प्रत्मेक अनसर्चत े ु ू कयने क लरमे ऐसे िगि क सदथम को े े कामकऺेत्र- सॊऩणि भध्मप्रदे श मोजना ू जातत/जनजातत क सदथम को 100 े 500 रुऩमे की सीभा तक उऩबोग का कामिऺेत्र है । रुऩमे क भान से अनदान क रूऩ भें े े ु ऋण उऩरब्ध कयामा जाता है । द्रहतग्राही चमन प्रकक्रमा- अनसर्चत ु ू सहामता उऩरब्ध कयिामी जाती है । कामकऺेत्र- सॊऩणि भध्मप्रदे श मोजना ू जातत/जनजातत िगि क कृर्कों क 10 े े कामकऺेत्र- मोजना का कामिऺेत्र सॊऩणि ू का कामिऺेत्र है । िर्ि से अनर्धक अिर्ध क ऋण की े भध्मप्रदे श है । ऩात्र द्रहतग्राही- अनसर्चत ु ू दे म यालश स्जसभें भर से ज्मादा ू क े जातत/जनजातत का सदथम, स्जस ब्माज हो गमा हो, इस मोजना क े ऩैतस/रैम्ऩस का सदथम है , िह अॊतगित चमतनत ककमे जाते हैं। व्मस्तत। अऩनी सॊथथा को आिेदन कय सॊथथा मोजना कक्रमान्वमन सॊऩक- प्रफॊधक, प्राथलभक विऩणन क की ओय से यालश प्राप्त कय सकता है । सदथम की फकामा भर से ज्मादा ू सहकायी सलभतत। इस यालश को थिीकृत कयने का ब्माज की यालश क अन्तय की े अर्धकाय सॊथथा का है । प्रततऩतति सॊथथा को शासन द्िाया की ू ऩात्र द्रहतग्राही अनसर्चत ु ू सॊऩणि ू याज्म जातत/जनजातत अनसधचत जातत/जनजातत ु ू सदस्मों को क े ऩैक्स/रैम्ऩस अनसधचत जातत/जनजातत ु ू क े प्रकक्रमा- ऋणी जाती है । सदस्मों क अल्ऩावधध ऋणों ऩय े वन रोक वातनकी क भाध्मभ से ग्राभीणों े मोजना प्रकक्रमा- ऩरयर्ध क ग्राभों को होती है । इन ग्राभों े औय ऩॊचामतों की आम मोजना का कक्रमान्िमन िन विबाग को उऩरब्धता क आधाय ऩय िनोऩज े उद्दे श्म- तनजी तथा याजथि बलभ ऩय ू औय याजथि विबाग क सहमोग स