पूजता थरी क्जसमे सता्वरकर जो को आमंत्रित क्कयता गयता थता । सता्वरकतार जरी ने देखता क्क दक्लत महोदय ने क्कसरी भरी महतार को आमंत्रित नहीं क्कयता थता । उन्होंने तत्काल उससे कहता क्क आप हम ब्राह्मणों के अपने घर में आने पर प्रसन्न होते हो पर मैं आपकता आमंत्ण तभरी स्वरीकतार करूूंगता, जब आप महतार जताक्त के सदसयों को भरी आमंत्रित करेंगे । उनके कहने पर दक्लत वयसकत ने अपने घर पर महतार जताक्त ्वतालों को आमंत्रित क्कयता थता ।
1928 में क्श्वभतांगरी में क््वट्टल मंक्दर में अछुतों के मंक्दरों में प्र्वेश करने पर सता्वरकर जरी कता भताषण हतुआ । 1930 में पक्ततपता्वन मंक्दर में क्श्वू
भंगरी के मतुख से गतायत्री मंत् के उच्चारण के सताथ हरी गणेशजरी करी मूक्त्ण पर पतुष्पांजक्ल अक्प्णत करी गई । इसरी प्रकतार 1931 में पक्ततपता्वन मंक्दर कता उद्घाटन स्वयं शंकरताचताय्ण श्री कूर्तकोक्ि के हताथों से हतुआ ए्वं उनकरी पताद्यपूजता दक्लत नेतता रताज भोज द्वारता करी गई थरी । उस समय ्वरीर सता्वरकर ने घोषणता करी क्क इस मंक्दर में समसत क्हंदतुओं को पूजता कता अक्धकतार है और पतुजताररी पद पर गैर ब्राह्मण करी क्नयुक्ति होगरी ।
इस प्रकतार के अनेक उदताहरण ्वरीर सता्वरकर के जरी्वन से क्मलते हैं, क्जससे दक्लत उद्धतार के क््वषय में उनके क््वचतारों को, उनके प्रयतासों को जतान पताते हैं । सता्वरकर जरी के बहतुआयतामरी जरी्वन
के क््वक्भन्न पहलतुओं में से समताज सतुधतारक के रूप में ्वरीर सता्वरकर को समरण करने कता मूल उद्ेशय दक्लत समताज को क््वशेष रूप से सन्देश देनता है, क्जसने रताजनरीक्तक स्वार्थों करी पूक्त्ण के क्लए स्वण्ण समताज द्वारता अछूत जताक्त के क्लए गए सतुधतार कार्यों करी उपेक्षा करके उन्हें के्वल क््वरोध कता पात्र बनता क्दयता हैं । ्वरीर सता्वरकर महतान क्रतांक्तकताररी श्यामजरी कृषण ्वमता्ण के क्रतांक्तकताररी क््वचतारों से लन्दन में पढ़ते हतुए संपर्क में आए । श्यामजरी कृषण ्वमता्ण स्वतामरी दयतानंद के क्शषय थे । स्वतामरी दयतानंद के दक्लतों के उद्धतार करने रूपरी क्चंतन को हम सपषि रूप से ्वरीर सता्वरकर के क्चंतन में देख सकते हैं । �
twu 2025 7