June 2025_DA | Page 43

भगवान बुद् की याद में कार्यक्रम का आयोजन

्वैबतुद्ध को आधयतासतमक अनतुगूंज और सतांस्कृतिक समृद्ध, आदरंजक्ल

शताख बतुद्ध पूक्ण्णमता कता औपचतारिक उद्घाटन नई क्दल्ली ससथत डता. बरी. आर. आंबेडकर अंतरता्णषट्ररीय केंद्र में भग्वतान शताकयमतुक्न
के रूप में क्कयता गयता । संस्कृति मंत्रालय और अंतरता्णषट्ररीय बलौद्ध परिसंघ( आईबरीसरी) द्वारता बतुद्ध के जन्म, ज्ञतान और महतापररक्न्वता्णण करी यताद में मनताए जताने ्वताले त्रिगतुण धन्य क्द्वस के उपलक्य में इस कताय्णक्रम कता आयोजन क्कयता गयता ।
गत 15 मई को आयोक्जत कताय्णक्रम के मतुखय अक्तक्थ ए्वं केंद्ररीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र क्संह शेखता्वत ने इस अ्वसर पर पक््वत् बलौद्ध क््वरतासत के संरषिक के रूप में भतारत करी महत्वपूर्ण भूक्मकता पर प्रकताश डतालता । उन्होंने प्रधतानमंत्री नरेंद्र मोदरी के ्वैश्विक दृसषिकोण को दोहरताते हतुए कहता क्क भतारत के्वल बतुद्ध करी जन्मभूक्म नहीं- यह अक्हंसता, सजगतता और मधयम मताग्ण के उनके सता्व्णभलौक्मक संदेश कता संरषिक है । समृद्ध बलौद्ध क््वरतासत पर प्रकताश डतालते हतुए उन्होंने कहता क्क भतारत अपनरी पक््वत् क््वरतासत को सक्क्रयतता से सताझता और संरक्षित करतता है । हताल के वर्षों में, केंद्र सरकतार ने ्वैश्विक बलौद्ध संबंधों को मजबूत करने करी पहल करी है । सबसे महत्वपूर्ण प्रयतासों में से एक पक््वत् बतुद्ध अ्वशेषों करी प्रदर्शनरी है । आस्था और श्रद्धा करी क्नक्ध, यह अ्वशेष- मंगोक्लयता, श्रीलंकता, थताईलैंड और क््वयतनताम जैसे देशों में क््वशेष यतात्राओं पर भेजे गए हैं, क्जससे क््वदेशों में हमतारे बलौद्ध भताइयों के सताथ आधयतासतमक और सतांस्कृतिक संबंध मजबूत हतुए हैं ।
उन्होंने कहता क्क यह प्रदश्णक्नयतां महज औपचतारिकतता से कहीं बढ़कर हैं और यह सतांस्कृतिक कूटनरीक्त और आधयतासतमक एकतता के कताय्ण हैं । यह अ्वशेष जहतां भरी जताते हैं, ्वहतां भसकत करी भता्वनता जतागृत होतरी है, संबंध गहरे होते हैं और बलौद्ध धर्म के आधयतासतमक स्ोत के रूप में भतारत करी भूक्मकता करी पुष्टि होतरी है । गत दस क्दनों में अब तक क््वयतनताम से 18 लताख से अक्धक लोग इन पक््वत् अ्वशेषों कता आशरी्वता्णद ले चतुके हैं ।
कताय्णक्रम के मतुखय अक्तक्थ ए्वं संसदरीय कताय्ण और अलपसंखयक मतामलों के मंत्री क्करेन ररक्जजू ने बतुद्ध करी क्शषिताओं करी समता्वेशरी प्रतासंक्गकतता पर जोर देते हतुए कहता क्क बतुद्ध कता अनतुसरण करने के क्लए क्कसरी को बलौद्ध होने करी आ्वशयकतता नहीं है । उनकता ज्ञतान, खतासकर उथल-पतुथल और अनिश्चिततता के समय में सभरी के क्लए मताग्णदर्शक प्रकताश है । बलौद्ध धर्म एक दर्शन है, मात्र धर्म नहीं । उन्होंने कहता क्क भतारत ने दतुक्नयता को यतुद्ध नहीं बसलक बतुद्ध करी क्शषिता दरी है । भतारत शतांक्त के क्लए प्रयतास करतता
है लेक्कन यक्द ऐसे तत्व हैं जो शतांक्त को बताक्धत करनता चताहते हैं, तो हम शतांक्त बनताए रखने के क्लए शसकत कता उपयोग करेंगे ।
कताय्णक्रम में छह सलौ से अक्धक लोगों ने क्हस्सा क्लयता, क्जसमें संघ, क्भषितु और क्भषितुक्णयतां, बलौद्ध धर्म के छात्र, आम सताधक और अन्य लोग शताक्मल थे । इनके सताथ हरी रताजनक्यक समतुदताय के सदसय भरी मलौजूद थे । कताय्णक्रम में भूितान, मंगोक्लयता, नेपताल और श्रीलंकता के रताजदूतों के सताथ-सताथ लताओस, जतापतान, रूस, तताइ्वतान और कूंबोक्डयता के प्रक्तक्नक्धयों को भरी सममताक्नत क्कयता गयता ।
अपने स्वतागत भताषण में आईबरीसरी के महतासक्च्व शतातसवे खेंसतुर जंगचतुप चोएडेन रिनपोछे ने धमम पर बोलते हतुए संसकृत में बतुद्ध के 47 गतुणों कता उललेख करते हतुए कहता क्क यह स्तुक्तयतां और उनके गतुणों कता ्वण्णन के्वल संसकृत सताक्हतय में हरी मलौजूद है, जो इसे एक मूलय्वतान ग्ंथ बनतातता है । यह शलोक प्रेरणतादतायक हैं और ्वेसताक पूक्ण्णमता महरीने के दलौरतान पढ़े जताते हैं । इस अ्वसर पर आईबरीसरी के महताक्नदेशक अक्भजरीत हलदर ने बतुद्ध के पक््वत् क्पपरता्वताह अ्वशेषों से जुड़े आभूषणों करी नरीलतामरी को रोकने के क्लए संस्कृति मंत्रालय के आक्रतामक प्रयतासों पर प्रकताश डतालता, क्जसे नरीलतामरी से दो क्दन पहले हरी रोक क्दयता गयता थता । उन्होंने कहता क्क यह बतुद्ध करी शसकत और आशरी्वता्णद हरी थता क्जसने नरीलतामरी को रोकता । कताय्णक्रम में दो प्रमतुख प्रदर्शनरी भरी लगताई गई थरी । प्रदश्णक्नयों में एक्शयता भर में बतुद्ध धमम के प्रसतार और सतारनताथ से पक््वत् अ्वशेषों करी प्रदर्शनरी पर ्वृत्क्चत् शताक्मल थे । कताय्णक्रम कता समतापन गतुरु अलपनता नतायक और उनकरी मंडलरी द्वारता जरी्वंत सतांस्कृतिक प्रदर्शन के सताथ हतुआ, क्जसमें भग्वतान बतुद्ध करी कतालतातरीत कलतातमक और आधयतासतमक क््वरतासत को दशता्णयता गयता । �
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