June 2025_DA | Page 14

कवर स्टोरी

आ्वशयक हो गई है । सताथ यह भरी क््वचतार करनता होगता क्क अनतुसूक्चत जताक्त ए्वं जनजताक्त के क्ररीमरीलेयर ्वग्ण के सताथ हरी अभरी तक आरषिण के लताभ से ्वंक्चत जताक्तयों यता उपजताक्तयों को आरषिण के लताभ करी सरीमता में कैसे समतायोक्जत क्कयता जतानता चताक्हए? क्या अनतुसूक्चत जताक्त ए्वं जनजताक्त के अक्भजतात ्वग्ण ने आरषिण पर एकताक्धकतार जमता क्लयता है? यताद रहे क्क अनतुसूक्चत जताक्तयों ए्वं अनतुसूक्चत जनजताक्तयों को आक्थ्णक आधतार पर नहीं बसलक सतामताक्जक और अक््वकक्सत षिेत् क््वशेष के आधतार पर आरषिण क्दयता गयता है । ऐसे कई प्रश्नों पर गंभरीरतता से क््वचतार करनता होगता । प्रश्न यह भरी है क्क देश के व्यापक आरक्षित ्वग्ण के क्लए क्या ्वत्णमतान व्यवस्थाओं में पयता्णपत सरकताररी नलौकररी हैं? ्वैसे यह सहरी है क्क आरषिण कता लताभ संबंक्धत आरक्षित ्वग्ण के अंतर्गत आने ्वताले सभरी लोगों को समतान रूप से नहीं क्मल पता रहता है । जताक्त गणनता के बताद आरषिण को लेकर
ऐसे नए क््व्वताद आरमभ होंगे, क्जन पर अभरी से क््वचतार करनता होगता ।
प्श्न आरक्ण की सीमा निर्धारण का
संक््वधतान क्नमता्णतता बताबता सताहब आंबेडकर ने ्वंक्चत जताक्तयों करी उन्नक्त और पयता्णपत प्रक्तक्नक्धत्व के क्लए संक््वधतान में शैक्षणिक संस्थानों और रोज़गतार में आरषिण करी अ्वधतारणता पेश करी गई थरी । ऐसता ्वंक्चत जताक्तयों को उन्नत जताक्तयों के बरताबर लताने में मदद करने के क्लए क्कयता गयता थता । डता. आंबेडकर ने कलपनता करी थरी क्क एक समय बताद आरषिण करी आ्वशयकतता समतापत हो जताएगरी । दतुभता्णगय से डता. आंबेडकर करी अपेक्षा के क््वपररीत, जताक्तगत आरषिण कुछ प्रभता्वशतालरी लोगों के क्लए एक ऐसता हक्थयतार बन गयता, क्जन्हें परीढ़री दर परीढ़री आरषिण कता लताभ क्दयता गयता है और समताज के अन्य सदसय
आरषिण के लताभ से ्वंक्चत हो गए । स्थिति यह है क्क सतामताक्जक और आक्थ्णक रूप से संपन्न जताक्तयतां, जैसे आंध्र प्रदेश में कतापू, महताराष्ट्र में मरताठता, हरियताणता में जताि और गतुजरतात में पटेल भरी आरषिण करी मतांग कर रहरी हैं । ऐसे में आरषिण से जुड़े हतुए अनेकों प्रश्नों पर क््वचतार करनता आ्वशयक हो गयता है । देश में सरकताररी नलौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरषिण करी सरीमता 50 प्रक्तशत क्नधता्णरित है । 1992 में उच्तम न्यतायतालय ने इंक्दरता सताहनरी मतामले में यह सपषि क्कयता थता क्क आरषिण करी सरीमता 50 प्रक्तशत से अक्धक नहीं हो सकतरी है । उच्तम न्यतायतालय ने इस सरीमता को योगयतता आधतारित चयन सतुक्नसशचत करने के क्लए क्नधता्णरित क्कयता है । इसके बताद भरी कई रताजय तक्मलनताडु( 69 प्रक्तशत), महताराष्ट्र( 72 प्रक्तशत) इस सरीमता को पतार करने के क्लए क््वशेष रताजय क््वधतानों और संशोधनों कता उपयोग करते रहे हैं ।
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