संवैधानिक गणतंत्र
सचिव थे और बाद में संविधान सभा( विधायिका), अनतरिम संसद और लोकसभा के सचिव भी बने, के माधयम से, उस समय आया जब उनहोंने संविधान सभा की प्रारूप समिति में अपना कार्य करना आरंभ किया था । डा. आंबेडकर उनसे प्रायः संसद से समबकनधत प्रावधानों पर विचार विमर्श किया करते थे और हम दोनों साथ उनके यहां जाया करते थे और प्रारूप के वववभन् अनुचछेिों पर उनके साथ खुलकर बातचीत किया करते थे । अधयक्ष, श्ी जी. वी. मावलंकर की सवीकृति से, हम संसद में राषट्रपति के अभिभाषण, संसद के दोनों सदनों की संयु्त बैठक, संसद के विशेषाधिकार, वित्ीय प्रवरियाएं, विनियोग विधेयक, संसदीय सचिवालय और कई अनय संबद्ध मामलों से संबकनधत संविधान में प्रावधानों पर सलाह दे सके । हम इस प्रकार के मामलों से समबकनधत बहुत सारी सामग्ी विशव की वववभन् संसदों से एकत्र करते और इस पर उनके साथ चर्चा किया करते थे । वह एक मिलनसार सवभाव के वयक्त
थे; तकों को धयान से सुनते थे, एक अचछा श्ोता, एक सुविश आलोचक थे, जिनमें वववभन् विचारों का सकममश्ण पाया जाता था । वह अपने विचार एवं भाषण में वैधानिक और तकनीकी शबिों में सपषट थे तथा प्रारूपण में सुसपषट और संक्षिपत थे । मुझे याद है कि मैंने उनके साथ कई शाम बितायी थी । जब हम दोनों इन सभी मामलों पर चर्चा किया करते थे और एक-एक करके इनहें निपटाते जाते थे ।
बाद में, मैं फिर संसदीय कार्य विभाग के सचिव के रूप में, उनके संपर्क में आया जब वह विधायी और संसदीय कार्य समबनधी कैबिनेट समिति के सभापति के रूप में कार्य कर रहे थे । उस कसथवत में मुझे संसद के दोनों सदनों की कार्य सूचियों की वयवसथा करनी पड़ती थी और मुझे याद है कि डा. आंबेडकर अपने प्रिय हिनिू कोड बिल को लोक सभा की सवीकृति दिलाने के अपने प्रयत् में कितने सही थे । इस विधेयक के लिए उनमें बड़ा उतसाह था और वह वसतुतः इसके बारे में हमेशा सोचा करते थे । वह किसी
भी उस विषय से समबकनधत विपुल साहितय के, जो उनके विचाराधीन था, बहुत बड़े पाठक थे, फिर चाहे वह संविधान हो या हिनिू कोड या कोई अनय विधेयक, वह हमेशा पुसतकों से घिरे रहते थे और उनहें पुराने विचारों को आतमसात करते हुए और नये विचारों का आहवान करते हुए देखने में एक बड़ा ही आननि का अनुभव होता था । भारतीय संसद ने इस संविधान सभा और संसदविश की मूर्ति संसद भवन परिसर में विशिषट सथान पर लगाकर उनहें उचित सममान दिया है । अब कई वरषों से इस सथान पर प्रतिवर्ष आंबेडकर जयनती भी मनाई जाती है ।
( लेखक लोक सभा के भूतपूर्व
महासचिव और भूतपूर्व मुखय निर्वाचन आयु्त रह चुके हैं । उनका यह लेख 1991 में लोकसभा सचिवालय द्ारा प्रकाशित ' सुप्रवसद सांसद( मोनोग्ाफ
सीरीज) डा. बी. आर. आंबेडकर ' नामक पुसतक में सम्मवित किया गया था ।
पाठकों के लिए यह लेख साभार प्रसतुत किया गया है ।)
48 tqykbZ 2025