राषट्रपति मुर्मु ने कहा कि विकसित भारत का निर्माण तभी संभव है जब देश के गरीब , युवा , नारीशक्त और किसान सश्त होंगे । इसलिए सरकार की योजनाओं में सववोच् प्राथमिकता इनहीं चार सतंभों को दी जा रही है । सरकार की योजनाओं एवं सैचुरेशन अप्रोच के कारण ही 10 वर्षों में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले हैं । इसमें अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , पिछड़े वर्ग , हर समाज , हर क्ेत् के परिवार हैं । लासट माइल डिलिवरी पर फोकस ने इन वगषों का जीवन बदल दिया है । विशेर्कर आदिवासी समाज में ये बदलाव और भी सपषट नज़र आ रहा है । वंचितों की सेवा का यह संकलप ही सच्ा सामाजिक नयाय है ।
राषट्रपति मुर्मु ने कहा कि सरकार देश के हर युवा को बड़े सपने देखने और उनहें साकार करने के लिए ज़रूरी माहौल बनाने में जुटी है । पिछले दस वर््य में ऐसे हर अवरोध को हटाया
गया है जिसके कारण युवाओं को परेशानी थी । सरकार का यह निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले । सरकार ने युवाओं की राषट्र निर्माण में भागीदारी और बढ़ाने के लिए ' मेरा युवा भारत-माय भारत ’ अभियान की शुरुआत भी की है । इसमें अब तक डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं का पंजीकरण हो चुका है । इस पहल से युवाओं में नेतृतव कौशल और सेवा भावना का बीजारोपण होगा । सरकार के प्रभावी प्रयासों का परिणाम है कि भारत के युवा खिलाड़ी वैकशवक मंचों पर रिकलॉड्ट संखया में मेडलस जीत रहे हैं ।
उनहोने कहा कि सरकार भविषय निर्माण के प्रयासों के साथ ही भारतीय संसकृलत के वैभव और विरासत को फिर से सथालपत कर रही है । हाल में नालंदा यूनिवर्सिटी के भवय कैंपस के रूप में इसमें एक नया अधयाय जुड़ा है । नालंदा सिर्फ एक यूनिवर्सिटी मात् नहीं थी , बकलक वह वैकशवक ज्ान केंद्र के रूप में भारत के गौरवशाली अतीत का प्रमाण थी । विशवास है कि नई नालंदा यूनिवर्सिटी , भारत को गलोबल नलॉलेज हब बनाने में सहायक सिद्ध होगी । सरकार का यह प्रयास है कि भावी पीढ़ियों को हज़ारों वर्षों की हमारी विरासत प्रेरणा देती रहे । इसलिए पूरे देश में तीर्थसथलों को , आसथा और अधयातम के केंद्रों को सजाया-संवारा जा रहा है । सरकार , विकास के साथ ही विरासत पर भी उतना ही गर्व करते हुए काम कर रही है । विरासत पर गर्व का यह संकलप आज अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , वंचित वर्ग और सर्वसमाज के गौरव का प्रतीक बन रहा है ।
उनहोंने कहा कि सवसथ लोकतंत् को बनाए रखने के लिए हमें इस विशवास को सहेज कर रखना है , इसकी रक्ा करनी है । हमें याद रखना होगा , लोकतांलत्क संसथाओं और चुनावी प्रक्रिया पर लोगों के विशवास को चोट पहुंचाना उसी डाल को काटने जैसा है , जिस पर हम सब बैठे हैं । लोकतंत् की विशवसनीयता को ठेस पहुंचाने की हर कोशिश की सामूहिक आलोचना होनी चाहिए । आज की संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें , लोकतंत् को कमजोर करने
और समाज में दरारें डालने की साजिशें रच रही हैं । यह ताकतें देश के भीतर भी हैं और देश के बाहर से भी संचालित हो रही हैं । इनके द्ािा अफवाह फैलाने का , जनता को भ्रम में डालने के लिए भ्रामक एवं गलत सूचनाओं का सहारा लिया जा रहा है । इस कसथलत को ऐसे ही बेरोक- टोक नहीं चलने दिया जा सकता । आज के समय में टेक्नॉललॉजी हर दिन और उन्त हो रही है । ऐसे में मानवता के विरुद्ध इनका गलत उपयोग बहुत घातक है । सभी का दायितव है कि इस प्रवृलत् को रोकें , इस चुनौती से निपटने के लिए नए रासते खोजें ।
राषट्रपति मुर्मु ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत् के रूप में 75 वर््य पूरे करने जा रहा है । भारत का संविधान , बीते दशकों में हर चुनौती , हर कसौटी पर खरा उतरा है । जब संविधान बन रहा था , तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं , जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं । देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए । लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्रापत करके दिखाया ्योंकि भारत के मूल में गणतंत् की परंपराएं रही हैं । सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माधयम भर नहीं मानती , बकलक हमारा संविधान जन-चेतना का हिससा हो , इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं । इसी धयेय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है । राषट्र की उपलकबधयों का निर्धारण इस बात से होता है कि हम अपने दायितवों का निर्वहन कितनी निषठा से कर रहे हैं । वेदों में हमारे ऋलर्यों ने हमें “ समानो मंत् : समिति : समानी ” की प्रेरणा दी है अर्थात हम एक समान विचार और लक्य लेकर एक साथ काम करें । यही इस संसद की मूल भावना है । यह सदी भारत की सदी है , और इसका प्रभाव आने वाले एक हजार वर्षों तक रहेगा । इसलिए हम सब मिलकर पूर्ण कर्तवयलनषठा के साथ , राषट्रीय संकलपों की सिद्धि में जुट जाएं , विकसित भारत का निर्माण करें । �
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