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सथालपत किए गए । यह दिखाने का प्रयास किया गया कि भारत का गौरवशाली इतिहास महातमा बुद्ध से आरमभ होता है । उससे पहले भारतीय जंगली , असभय और बर्बर थे । पतंजलि योग के सथान पर बुद्धिसट धयान अर्थात विपशयना को प्रचलित किया गया । कुल मिलाकर ईसाई मिशनरियों का यह प्रयास दलितों को महातमा बुद्ध के खूंटे से बांधने का था ।
सम्ाट अशोक को बढ़ावा
इस चरण में ईसाई मिशनरियों द्ािा श्ीिाम चंद्र के सथान पर सम्राट अशोक को बढ़ावा दिया गया । राजा अशोक को मौर्या वंश का सिद्ध कर दलितों का राजा प्रदर्शित किया गया और राजा राम को आयषों का राजा प्रदर्शित किया गया । इस प्रयास का उद्ेशय भी यही था कि श्ीिाम आयषों के विदेशी राजा थे और अशोक
मूलनिवासियों के राजा था । ऐसा भ्रामक प्रचार किया गया । इस प्रकार का मुखय लक्य श्ीिाम से दलितों को दूर कर सम्राट अशोक के खूंटे से जोड़ना था । इस कार्य के लिए अशोक द्ािा कलिंग युद्ध के पशचात बुद्ध मत सवीकार करने को इतिहास बड़ी घटना के रूप में दिखाना था । अशोक को महान समाज सुधारक , जनता का सेवक , कलयाणकारी प्रदर्शित किया गया । कुएं बनाना , अतिथिशाला बनाना , सड़कें बनाना , रुगणालय बनाना जैसी बातों को अशोक राज में महान कार्य बताया गया । जबकि इससे बहुत काल पहले रामराजय के सदियों पुराने नयायप्रिय एवं चिरकाल से समिण किए जा रहे उच् शासन की कसौटी को भुलाने का प्रयास किया गया । यह बहुत बड़ा छल था । अशोक राज के इस तथ्य को छुपाया गया कि अशोक ने राज सेना को भंग करके सभी सैनिकों को बौद्ध भिक्ुक
बना दिया और राजकोर् को बौद्ध विहार बनाने के लिए खाली कर दिया था । अशोक की इस सनक से तंग आकर मंलत्मंडल ने अशोक को राजगद्ी से हटाया और अशोक के पौत् को राजा बना दिया था । अशोक के छदम अहिंसावाद के कारण संसार का सबसे शक्तशाली राजय मगध कालांतर में कलिंग के राजा खारवेला से हार गया था । यह था क्लत्यों के हथियार छीनकर उनहें बुद्ध बनाने का नतीजा । इस प्रकार से ईसाईयों ने श्ीिाम की महिमा को दबाने के लिए अशोक को खड़ा किया ।
आययों को विदेशी बताना
यह चरण सफ़ेद झूठ पर आधारित है I पहले आयषों को विदेशी और सथानीय मूल निवासियों को सवदेशी प्रचारित किया गया । फिर कहा गया कि विदेशी आयषों ने मूलनिवासियों को युद्ध में
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