Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 68

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पति
( बाबा साहब डॉ. भीमरा
ज्योशतष संबंधी मान्यता भी हमारी प्राचीन मान्यताओं में से एक है । सुबह-सुबह ही टेलीशवज़न पर शतलक धारी, बड़ी और लंबी माला पहने बाबा के दियन होते हैं जो कहते हैं शक आज आप खीर बनाकर बांटें, शबल्ली को दूध शपलाएं, पीपल के पेड़ को पानी दें इत्याशद । जब भी हम कोई िुभ काम करते हैं तो िुभ मुहूतय का शवचार भी आता है । इस की अशभव्यशक्त मध्यकालीन संत मलूकदास के एक पद में हुई है शजसमें उन्होंने इस शवचार अथवा शवश्वास को भ्रमपूणय एवं अनावश्यक बताया है-
मन ते इतने भरम गुँवावो । चल शबदेस शवप्र जशन पूछो शदन का देखन लागो । 6
मध्यकालीन संत कबीर रैदास दादू नाभा शसंगा सेना नाई आशद महापुरूष अंधशवश्वास धाशमयक आडंबर मूशतयपूजा के शवरूि कमर कस कर खड़े हो गए थे ǀ संत काव्य के प्रणेता कबीर ने अपने समाज में प्रचशलत कु रीशतयों जादू-टोना
मंि-तंि टोटका आशद को पहचाना और अपने काव्य में इन सब का खुलकर खंडन शकया । कबीर ने भारतीय समाज में व्याप्त अनेक पाखंडों और अंधशवश्वासों पर करारी चोट की । उनकी दृशि में जप, माला, छाप, शतलक, मूशतयपूजा आशद ये सब शनरथयक हैं, पाखंड हैं । संतों की वाशणयों से शिशक्षत वगय ही प्रभाशवत नहीं हुआ बशल्क सामान्य जनता पर भी इसका असर पड़ा । संतों ने जीवन में सिल होने के शलए इन सब को व्यथय माना है । उन्होंने जीवन में सुख, िांशत एवं आनंद के शलए आशत्मक बल को महत्व शदया था ।
संदभय:
1 साशहत्य पररवार – डॉ. सूययदीन यादव( सं.) अंक-1315 जुलाई 2011 पृ. 63 2 अंधशवश्वास का परदा- रोशहत चौधरी जनसत्ता 18 शदसंबर 2015 पृ 6 3( अक्षय रस: संपा. डॉ. कु ुँ अरचंद्र प्रकािशसंह – पूरब जनम को अंग, 6 / 3,4,5) 4 अंधशवश्वास का परदा- रोशहत चौधरी जनसत्ता 18 शदसंबर 2015 पृ 6
5 साशहत्य पररवार – डॉ. सूययदीन यादव( सं.) अंक-13 15 जुलाई 2011 पृ. 64
6 संत सुधा सार, दूसरा खंड, बाबा मलूकदास, उपदेि-4, सं. शवयोगी हरर
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol. 2, issue 14, April 2016.