जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
……………
यह वि बोलने का है चीखने और लड़ने का है ऐसे समय में तुम्हारी ख़ामोशी से भयभीत ह ाँ मैं
तुम बोलो या न बोलो तुम्हारे पक्ष में मैं आवाज़ उठाता रह ाँगा तुम्हारे हक़ के पक्ष में पर अब तुमसे कु छ बोलने की अपील नहीं कराँ गा
तुम लेना अपना मनणषय अपने समय से मेरा संघषष जारी रहेगा सााँस के टूटने तक |
तुम्हारा कमव- मनत्यानंद गायेन
…………….
आकाश गरज रहा है आज आधी रात को आओ हम ममलकर संघषष का ऐलान कर दें जीत की उम्मीद के साथ आओ ममलकर लड़ें उनके बनाये मनयमों के मवरुद्ध आओ ढक कर रखें अपनी भावुकता को भमवष्य के मलए मजसे हमारी कमजोरी मान मलया है अपने ही लोगों ने जबमक हम के वल मांग रहे हैं जीवन का अमधकार |
आओ हम साथ ममलके लड़ें सु ंदर भमवष्य के मलए |
……………..
मैं जानता ह ाँ मक तमाम प्रेम कमवताएाँ
अपने नाम दजष करने के बाद भी एकमदन मचमहहत कर मलया जाऊं गा राजद्रोही, मवद्रोही या मफर असामामजक तत्व के नाम से
मेरे अपराधों की सूची में सबसे पहले दजष होगा तुमसे प्रेम करना अहयाय के मवरुद्ध तुम्हारे संघषष में तुम्हारा साथ देना मेरा दूसरा अपराध होगा
परम्पराओं को तोड़ने और संस्कृ मत को बबाषद करने का आरोप भी लगेगा |
सुनो, पर मैं इतना कु छ जानने के बाद भी मलखता रह ाँगा प्रेम कमवताएाँ मुमि पाने तक साथ रह ाँगा तुम्हारे संघषष में और आखरी सााँस तक करता रह ाँगा तुमसे प्रेम |
…………… टूटी नही है प्रततबद्धता
समय के कालचक्र में रहकर भी टूटी नही है
कमव की प्रमतबद्धता हौसला बुलंद है अब भी
बूढ़े बरगद की तरह
नई कोपलें फू टने लगी है मफर से उम्मीदें जगाने के मलए उन टूट चुके लोगों में... कमजोर पड़ती क्रांमत मफर बुलंद होती है
कमव भूल नही पाता अपना कमष कू द पड़ता है मफर से संघषष की रणभूमम पर योद्धा बनकर
मतममर में भी लड़ता एक दीया तूफान को ललकारता
लहरों से कहता- आओ छु ओ मुझे या बहाकर ले जाओ हम भी तो देखें महम्मत तुम्हारी....
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.