Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 25

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
पर मुझे र्मली क्यों मोहलत ऄपने ख्वाब ईधेड़ने की?
तुम र्नत नये रंगों में
रंगते रहे और मेरे
सभी रंग र्नस-र्दन ररसते रहे
आस पक्षपात का क्या कारण है कह सकते हो?
यह कौन सा ऄर्भशाप है क्या कह सकते हो?
मैं भी बनी पञ्च तत्व से तुम भी तो
पञ्च तत्व से ही बने हो एक मन एक ह्रदय तुम्हारे पास है एक मन
एक ह्रदय
मेरे पास भी तो है र्िर......
कहीं
शारीररक बुनावट ही तो आसका कारण नहीं? संभवतः
यही कारण होगा क्योंर्क
भेद करना तो तुम्हारी प्रकृ र्त है कभी रूप रंग के
नाम पर कभी जार्त पार्त के
नाम पर कभी क्षेत्र के नाम पर तो कभी भाषा के नाम पर ।
जन्मस्थान: र्बहार जन्मर्तर्थ: 16 माचि 1976 9868429241
पापड़ खाने में अच्छा लग ा ै----
सवेरे चौक पर पह ुँचा तो जैसे कोई मेरा ही इंतजार कर रह था भले आदमी थे उसने बताया कक उनकी
वषों की साध पूरी हो रही है वे एक छोटा सा घर बनाने में हाथ लगा रहे हैं
आज कु दाल बहत कम चलाना पडा किर भी पैसा उतना ही कमला उपर से पाुँच लड्डू प्रसाद के नाम पर दोने में डालकर हाथ पर रख कदया माकलक ने खाकर एक लोटा पानी कपया तो पेट ही भर गया जैसे
आज कोई त्योहार था रोटी बाुँधती बीवी ने कहा था
कक काम कमले तो थोडा बेसन लेता आऊं
बीवी को पापड खाना बहत अच्छा लगता है पता नहीं मुझे अच्छा क्यों नहीं लगता खाते समय कु ड-कु ड बोलता है रोज काम भी कहाुँ कमलता कभी जाते ही लग जाता ह ुँ तो कभी हाथ कहलाते लौट आना पडता है लेककन आज मैंने मांग कर खाया सच! पापड खाने में अच्छा लगता जब तक घर बनेगा उस भले आदमी ने कहा है कक रोज सवेरे एक और आदमी को लेकर आ मैंने सोच कलया है
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.