Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 23

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
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6- कभी कभी
स्थकगत कर देनी पड़ती हैं
तमन्नाएं, आकांक्ांएं, और
ख्वाकहशात... हत्ता कक प्रेम भी तब... जब कनयकतयां करने लगती हैं
हमारे होने की तफ्तीश और कनरस्त कर दी जाती हैं हमारी अकग्रम उड़ानें ।।।
साकवत्री बाई फु ले छात्रावास
महाममा गांधी अंतरराष्ट्रीय कहंदी कवष्ट्व कवद्यालय
गांधी कहल्स, वध ा, 422005 महाराष्ट, मो. 09415778595
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
ईश ममश्र एक धममस्थल के मििाद में हया-बलात्कार, आगजनी-लूटपाट
की चन्द िारदातो का हिाला देकर शायर ने सिाल पूछा धमम की समहष्णुता का प्रमतशत क्या है?
धमम बहुत ही समहष्णु है समहष्णुता का प्रमतशत है कभी सौ तो कभी दो सौ मगनती अनंत तक जाती है लेमकन सबकी एक सीमा होती है.
ऐसे में जब मचा हो नामस्तकता का चािामकी उत्पात करते सिमशमिमान पर आघात ईश-मनंदा की काट तो खोजना होगा कु छ तो मिमध का मिधान बनाना होगा
धमम की समहष्णुता अनंत धमम को समाज चलाना है खुदा के बंदो को उल्लू बनाना है और पिमदमगार को भी बचाना है उसके कानून को लगाना है.
मौत से कम सजा िह क्या दे कोई गर मिमध का मिधान बदल दे? " धरती सूरज के चक्कर करती है " कोई मसमफम रा ऐसा यमद कह दे!
रसूल-उल-अल्लाह से लोगे पंगा कै से रहोगे भला-चंगा?
बानाओगे अगर उनकी तस्बीर
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol. 2, issue 14, April 2016.