Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 161
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
प्रवरतता िोध अध्ययन कज समवरया यह है कज उच्च शिक्षा में प्रिासन, प्रबंधन और नकतत्ृ ू सक जा क मद्दा क कक द्वारा उच्च
शिक्षा में बदलाू लाया जा सकता ह. या नहीं. यशद बदलाू लाया जा सकता है तो शकन मद्दा क रर ? और कै सक ?
शोध का उद्देश्य
इसका उद्दकश्य उच्च शिक्षा कक वरूपर में प्रिासन, प्रबंधन, और नकतत्ृ ू सक जा क मद्दा क कक द्वारा होनक ूालक परान्तरण का
मलू याकन करना है और साथ ही इस बात का रता लगाना भी है कज हमें अभी कजतना आगक चलना है, ूक कौन सक
बदलाू शकया जाना बाकज ह. .
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
कें द्र सरकार का मानू संसाधन शूकास मत्रं ालय, शूशभन्न रररषदें, राज्य सरकार तथा शनजी अशभकरण उच्च
शिक्षा (शूश्वशूद्यालय एूं महाशूश्वशूद्यालय) रर बाहरी शनयत्रं ण रखतक है. यद्द्शर शूश्वशूद्यालय कज वरथारना
वरूायत्त संवरथा कक पर में कज जाती है श र भी कें द्र एूं राज्य सरकार का ररोक्ष शनयंत्रण बना रहता है.
शूश्वशूद्यालय अनदा ान आयोग, राष्ट्रीय िैशक्षक अनसा ंधान एूं प्रशिक्षण रखतक ह. .
महाशूद्यालय कक िैशक्षक प्रिासन रर शूश्वशूद्यालय कक अशतररक्त राज्य का शिक्षा शनदकिक (उच्च शिक्षा ) भी
नजर रखता है. इसकज अनमा शत कक शबना नूीन राठ् यिमों का सच
ं ालन नहीं शकया जा सकता है तथा शूत्त
संबंधी व्यवरथाओ ं रर भी ररोक्ष शनयंत्रण रखता है.
शोध का महत्व
ववश्वववद्यालय की स्वायत्तता (प्रशासवनक प्रबंधन और नेतृत्व
आज भारत में उच्च शिक्षा कज मांग मख
ा र होकर सामनक आई ह. . यद्द्शर हमारक सामनक अध्ययन कज महत्ू यह ह. शक उच्च
शिक्षा में प्रिासन, प्रबंधन, और नकतत्ृ ू में का ज बदलाू आया है. शजसका सीधा प्रभाू शिक्षक-छात्र और दकि रर
र ा ह. . शजसकक कारण प्रिासन, प्रबंधन, और नकतत्ृ ू सक जा क मद्दा क उभर कर सामनक आई है. इस मद्दा क का प्रभाू शिक्षकछात्र रर शकस प्रकार र रहा ह. इस िोध अध्ययन कक द्वारा शकया गया ह. .
शूश्वशूद्यालयों कज वरूायत्तता को दो पर होतक ह. –
शोध अध्ययन एवं ववश्ले षण
भारतीय उच्च शिक्षा कज प्रिासन, प्रबंधन, और नकतत्ृ ू प्रणाली को समझना जपरी है तभी हम इससक जा क मद्दा क को समझ
सकतक ह. .
ववश्वववद्यालय के आतं ररक प्रशासन के वलए सामान्य रूप से तीन प्रशासवनक सवमवतयों का गठन वकया
जाता हैसीनेट या कोटष – यह शूश्वशूद्यालय कज सूोच्च प्रिासशनक सशमशत है. इसका अध्यक्ष कालरशत होता है.
वसंडीके ट या कायषकाररणी पररषद- इस पररषद- इस रररषद में शूश्वशूद्यालय कज कायतकारी िशक्त शनशहत
रहती है. यह शूश्वशूद्यालय कज समवरत समवरयाओ ं रर शूचार करती है. सीनकट द्वारा शनधातररत नीशतयों का
शियान्ूयन कायतकाररणी रररषद कक द्वारा शकया जाता है.
अकादवमक काउंवसल या ववद्या पररषद – शूश्वद्यालय कज समरणू त िैशक्षक एूं अनसा ंधाशनक िशक्त इसी
रररषद में शनशहत रहती है. राठ् यिम शनधातरण एूं अशनसंधान संबंधी शनयमों का शनधातरण इसी रररषद का
कायत है.
उच्च वशक्षा के बाहरी प्रशासन के अविकरण
Vol.2, issue 14, April 2016.
वषष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
ISSN 2454-2725
ववश्वववद्यालय की आतं ररक स्वायत्तता – शूश्वशूद्यालय कज आतं ररक वरूायत्तता का अथत है शक
शूश्वशूद्यालय कक आतं ररक शिया कलारों रर बाहरी हवरतक्षकर का न होना. अथातत शूश्वशूद्यालय अरनक
िैशक्षक एूं प्रिासशनक कायों का संगठन एूं संचालन लोकताशन्त्रक आधार रर करता हों. सत्ता का
शूकक न्द्रीकरण हों. शूश्वशूद्यालय में शनयशा क्त का आधार उत्कृ ि िैशक्षक योग्यता हो. शूश्वद्यालय कक कायों का
संचालन शूशभन्न सशमशतयों कक मध्ययम सक शकया जाएाँ. शूश्वशूद्यालय अरनक िैशक्षक एूं अनसा ंधान कक वरतर
को उन्नत बनाएाँ रखक. िैशक्षक-सत्र को शनयशमत रखें, समय-समय रर राठ् यिमों का रना शनतरीक्षण जारी रखें.
समय-समय रर राठ् यिमों का रना शनतरीक्षण जारी रखक. शूश्वशूद्यालय कक इन सभी कायों में शकसी प्रकार का
बाहरी राजकजय हवरतक्षकर न हों.
ववश्वववद्यालयों की बाहरी स्वायत्तता – बाहरी वरूायत्तता सक अथत है शक शूश्वशूद्यालय को अरनक
शियाकलारों एूं नीशत शनपरण में बाहरी िशक्तयों कक प्रभाूों सक मक्त
ा रखा जाए, शकन्ता व्याूहाररक पर सक
शूश्वशूश्वद्यालय को बाहरी वरूायत्तता प्राप्त होना सभं ू नहीं है.
उच्च वशक्षा में प्रशासन, प्रबंधन, नेतृत्व से जुड़े मुद्दे का ववश्ले षण
उच्च शिक्षा में प्रिासन, प्रबंधन, नकतत्ृ ू सक जा क मद्दा क को शनमनांशकत शकया जा सकता हैप्रिासन में ढीलारन आना
शूश्वशूद्यालय का वरतर का शगरना,
उच्च शिक्षा कक शलए बजट का कम होना,
नकतत्ृ ू क्षमता का कमी होना, आशद.
Vol.2, issue 14, April 2016.
वषष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.