Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 134

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / J( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्ब
२००९) जग्गु भी सत्ता पाकर कें क्षद्रकरण की ओर ही बढता है । ठाकु र के वहां आने पर जग्गु का उनसे बात ना करना, उनकी पहनाई माला को क्षनकाल कर उनहें ही वापस करना और वहां मौजूद दक्षलत लरके का कहना---- ‚ जरा कमररया लचकाइए ठाकु र’ तत्न्तिण हुई प्रक्षतक्षक्या है । पर क्षजस व्यवस्था के क्षखलाफ दक्षलतों को लरना था, क्या जग्गु वह लर पाएगा? क्योंक्षक जो दक्षलत आगे बढ रहे है, वह अपने दक्षलत भाईयों से घृणा ही कर रहे है ।
दक्षलतो के प्रक्षत सवणों के सामाक्षजक आचरण में सत्ता पररवतगन के बाद भी कोइ पररवतगन सोच के स्तर पर घक्षटत नहीं हुआ है । ठाकु र का दक्षलत पात्र से पानी पी लेना और कमर लचकाना व्यवस्थागत प्रक्षतक्षक्या के समि महज मजबूरी है तभी तो वह ठकु राइन से कहते है--- ‚ गू ंथना परेगा रानी ।........ जमाने के साथ चलना परेगा । समझों वह नहीं, मै जीता ह । ं असल में तो परधानी मुझे ही करनी है । वह ससुरा तो क्षचरी का गुलाम है ।‚ परंतु यह भी एक अकाट सत्न्तय है क्षक आज जग्गु अपनों के बीच खरा है पर अपनों के क्षलये नहीं । सत्ता का नशा उसे ठाकु र के हाथ की कठ्पुतक्षल नहीं बनने देता परन्तु वह‘ सत्न्तयप्रकाश’ जी की कहानी ‚ दक्षलत ब्राह्मण ‛ से भी आगे नहीं उठ पाएगा और क्षबडम्बना यह है क्षक जग्गु जैसे दक्षलत ब्राह्मण का क्षवरोध करना भी दक्षलतों के वश की बात नहीं है । जब तक ब्राह्मण शोषक रहे, दक्षलत उन्हें कोश सकते थे, कह सकते थे, क्षक उन्हें हर िेत्र में अपना प्रक्षतक्षनक्षधत्न्तव चाक्षहए । लेक्षकन जब दक्षलत ही दक्षलत का शोषण करेगे, तो वह क्या कह कर क्षशकायत करेंगे ।’ बनाना ररपक्षललक’ दक्षलतो के शोषण की दोहरी पृष्ठभूक्षम तैयार करती है जहां सवणग ब्राह्मण तो दक्षलतों का शोषण करेंगे ही साथ ही दक्षलत भी अथागत सत्ता भी दक्षलत की और शोषण भी दक्षलत का ही । धूक्षमल ने कहा है – ‚ क्षजसके पास थाली है
आनंद भवन,
राजबाडी पाडा
हर भूखा आदमी उसके क्षलये, सबसे भद्दी, गाली है ।‚ आज जग्गू भी उसी पथ पर अग्रसर है ।
जलपाईगुडी, क्षपन: 735101( प० बं०) मो०: 89277595844
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Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.