जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
यह प्रयास अकभनव एवं महत्वपूर्ण है, ्योंकक अभी िक ऐसा प्रयास ककसी युग में नहीं ककया गया था । एक पृथक धारा के रूप में कहन्िी िकलि साकहत्य इसी युग में अकस्ित्व में आया । यही नहीं बकल्क उसे पररभाकषि भी इसी काल में ककया गया । यह धारा समग्र रूप में अम्बेडकर-िशणन से कवकसि हुई और यह िशणन ही उसका मूलाधार बना । इसमें कोई िो राय नहीं कक अम्बेडकर-िशणन में िकलि-मुकि की अवधारर्ा की अकभव्यंजना ही विणमान कहन्िी िकलि साकहत्य की प्रकिबििा है । इसने नये सौन्ियणशास्त्र की स्थापना की जो स्विंत्रिा, समिा और बन्धुत्व के कसिान्िों पर आधाररि है । इस धारा ने अपने सौन्ियणशास्त्र से कहन्िी मुख्यधारा के साकहत्य का मूल्यांकन कर उसे काफी हि िक िकलिों के कलये अप्रासंकगक साकबि ककया है । इसने प्रेमचन्द्र, कनराला एवं अन्य रचनाकारों िक का पूनणमूल्यांकन ककया और उनकी कई रचनात्मक स्थापनाओं पर प्रश्नकचह्व भी लगाये । विणमान कहन्िी िकलि साकहत्य इस अथण में भी कवकशि है कक साकहत्य की सभी कवधाओं में उसका कवकास हो रहा है । यद्यकप फू ले और अम्बेडकर ने संस्थागि प्रयत्नों के माध्यम से िकलिों के पक्ष-पोषर् की बाि की लेककन सन्-70 के िशक के बाि कई संस्थायें सामने आिी हैं, कजन्होंने अपने प्रयासों से िकलिों के उत्थान पर कायण ककया । इस सन्िभण में िकलि साकहत्य प्रकाशन संस्था, अम्बेडकर कमशन, िकलि आगणनाइजेशन, राष्रीय िकलि संघ, िकलि राइटसण फोरम, िकलि साकहत्य मंच, लोक कल्यार् संस्थान आकि के माध्यम से िकलिों की कस्थकि सुधारने के सन्िभण में अनेक कायण ककये गये! इन िकलि संस्थाओं ने कजन िो महत्वपूर्ण पक्षों की ओर ध्यान आकृ ि कराया उनमें एक है िकलिों की सामाकजक कस्थकि में सुधार और िूसरा िकलिों के कलए आरक्षर् की माँग । इस सन्िभण में भारिीय संकवधान में संशोधन का भी प्रावधान ककया गया और संस्थाओं में समाचार पत्रों, लेखों और गोकष्ठयों का भी सहारा कलया कजसके माध्यम से िकलिों को जागरूक और एककत्रि करने का कायण ककया गया । यह ध्यान िेने योग्य िर्थय है कक इन संस्थाओं ने िकलि कचंिन को राजनैकिक स्वरूप भी प्रिान ककया और समाज में एक कवशेष वगण का नये कसरे से ध्रुवीकरर् ककया । इसमें कोई सन्िेह नहीं है कक विणमान-सामाकजक एवं राजनैकिक पररप्रेक्ष्य में िकलि कवमशण कचंिन का एक प्रमुख कहस्सा बन चुका है । 5 मौजूिा िकलि साकहत्यकारों ने िकलि लेखन को स्थकपि करने के कलये कडा संघषण ककया । यह उनके संघषों का ही पररर्ाम है कक कहन्िी जगि और मीकडया ने एक शिादिी की लम्बी उपेक्षा के बाि िकलि साकहत्य को स्वीकार ककया और उसे अपने पत्रों एवं पकत्रकाओं में थोडा-थोडा स्थान किया । लेककन यह भी िब सम्भव हुआ, जब सामाकजक पररविणन की राजनीकि ने नयी िकलि चेिना कवककसि की और उसका प्रभाव सम्पूर्ण संकवधान पर पडा । इसकलए यह कहन्िी जगि की राजनैकिक कववशिा भी है । इस मि से कु छ कवद्वि िकलि कचंिकों की असहमकि हो सकिी है, परन्िु सत्ता के बनिे-कबगडिे समीकरर् भी िकलि साकहत्य को प्रभाकवि करिे हैं, इस बाि से मु ँह नहीं मोडा जा सकिा है । कु छ हि िक यह युग िकलि पत्रकाररिा के कलये भी जाना जायेगा, ्योंकक िकलि साकहत्य के साथ-साथ िकलि पत्रकाररिा का भी सशि कवकास इस युग में हुआ है । िकलि पत्रकारों में डॉ. सोहनपाल सुमनाक्षर, मोहन िास नैकमशराय, डॉ. श्यौराज कसंह ' बेचैन ', के. पी. कसंह, प्रेम कपाकडया, मकर्माला, ओमप्रकाश वाल्मीकक, मोहर कसंह, बी. आर. बुकिकप्रय, सुरेश कानडे, डॉ. वीरेन्द्र कसंह यािव इत्याकि पत्रकारों ने िकलि पत्रकाररिा को प्रखर िकलि प्रश्नों से जोडकर कवचारोत्तेजक और िांकन्िकारी बनाया है । इसकलये िकलि चेिना के इस विणमान युग को िकलि ' नवजागरर् ' युग का नाम भी किया जा सकिा है ।
सन्िभण ग्रन्थ सूची
1. युगपुरुष डॉ0 अम्बेडकर स्माररका-2006, स वीरेन्द्र कसंह यािव, पृ0-19.
2. सामाकजक िांकन्ि के अग्रिूि: डॉ. भीमराव 19.
3. युगपुरुष डॉ0 अम्बेडकर स्माररका, 2006, स डॉ. वीरेन्द्र कसंह यािव, पृ0-18.
4. िकलि कवमशण: सन्िभण गाँधी, कगररराज ककश
5. िकलि कवमशण: कचन्िन एवं परम्परा, नवम्बर( स्रोि: साकहत्य कशल्पी. किसंबर 2009 में प्रका
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.