जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
10. आिोर्, बाबाराव मडावी, अनुवाद, तोंडाकु र लक्ष्मण पोतन्ना, अलख प्रकार्न, प्रथम सांमकरण: 2013, पृ. 72. 11. आददवासी सादहत्य, सां. डॉ. खन्नाप्रसाद अमीन, श्ी नटराज प्रकार्न, सांमकरण: 2015, पृ. 225-226. 12. आिोर्, बाबाराव मडावी, अनुवाद, तोंडाकु र लक्ष्मण पोतन्ना, अलख प्रकार्न, प्रथम सांमकरण: 2013, पृ. 83. 13. वही, पृ. 84.
इसमें कोई शक नहीं कक वर्ण-व्यवस्था के मनोवैज्ञाकनक जीि हाकसल कर ली है । शायि आन्िोलन / संस्कृ कि साकहत्य के प्रर्ेिा डॉ. अ स्वाकभमान को भािा नहीं । जो धमण िुम्हें कशक्षा नहीं, वह धमण उद्दण्डिा की सजावट है ।" डॉ. अ कक जाकि का कवनाश हो । साथ ही वर्ण व्यवस्थ का प्रार् है, अि: जब िक कहन्िू धमण इसके व यहाँ जाकि सामाकजक, राजनैकिक एवं आकथणक सीमा िय करिी है । 1
िकलि संवेिनाओं को अपने जीवनकाल में इसकलए आपने अपने सम्बोधन में बडी दृढ़िा धमण में मरूँ गा नहीं । कहन्िू धमण कवषमिावािी ह समाज व्यवस्था मुिे के समान है । कहन्िू िेविाओ बौि धमण के अन्िर ही कमल गया । यही कारर् कलया था । उनका यह किम हमेशा कववािास्प भावना को समझें िो हमें प्रिीि होिा है कक इस के आिशण की ओर ले गया । इसका एक िूसर यकि वे पकिम के उिारवािी दृकिकोर् के सम्प और इन समाजों की जो कवशेषिा उनको कवश कक भारिीय धमण-िशणनों में बुि-िशणन ही एक टैगोर ने आध्याकत्मक मानविावाि का कसिान्ि प्रयास ककया, वहीं डॉ. अम्बेडकर ने जािीय ककया । उनकी इस भूकमका को उकचि स्थान किय
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol. 2, issue 14, April 2016.