Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
द्वारा आयोमजत १२४ वे उन्मुखी कायाक्रम में कु ल ३१ प्राध्यापक सदस्य हैं । ये ३१ प्राध्यापक ११ राज्यों से संबंमधत हैं पर ९ राज्यों में कायारत हैं । यह ९ राज्य इसप्रकार हैं – महमाचल प्रदेश, हररयािा, उत्तराखंड, आसाम, पमिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कन ाटक, के रल । १६ मवर्षयों से संबमधत ये प्राध्यापक मवज्ञान, वामिज्य, कला, इंजीमनयररंग, पेंमटंग, संगीत, योगा, कं प्यूटर सायंस, फ़ू ड टेक्नोलॉजी आमद संकायों से संबमधत हैं । अध्ययन की सुमवधा की ्टमसे से हमने इन्हें चार वगों में बाँटा है –
1. कला मवभाग 2. वामिज्य मवभाग 3. मवज्ञान मवभाग 4. अन्य कलाएँ( Performing Art)
ग्राफ क्रमांक १. आगे मदखाया जा रहा है
उपयु ाक्त ग्राफ क्र. २ में प्रश्नावली भरकर देनेवालों की संख्या दी गयी हैं । कु ल ३१ प्रमतभामगयों के ३१ फॉमा मवतररत मकए गए । उनमें से २३ प्रमतभामगयों ने फॉमा भककर वामपस कर मदए । २३ में ०२ मवद्यावाचस्पमत नहीं हैं । शेर्ष ०८ प्रमतभामगयों में मजन्होंने फॉमा वामपस नहीं मकया उनमें ०४ मवद्यावाचस्पमत हैं तो ०४ मवद्यावाचस्पमत नहीं है । ३१ में से कु ल २१ प्रमतभामगयों की प्रश्नावली के आधारपर
जो अवलोकन मकया गया इसे मनम्न रूप से प्रस्तुत मकया जा रहा है –
िोधकायों में उसल्लसखत पररकल्पनाएँ( Hypothesis): अिलोकन
पररकल्पना अथाात शोध काया शुरू करने से पहले मकए गए पूवाानुमान है । ये पूवाानुमान शोधकाया के मलए मनमित लक्ष्य की ओर बढ़ने के मलए प्रेररत करते हैं । ये अनुमान हैं, मसद्ध हो भी सकते हैं या नहीं भी । यह एक मवचार है जो स्वानुभव या परानुभव से भी होता है । शोधकाया आरंभ करने के पूवा पररकल्पना का मनम ाि आवश्यक है या नहीं, इस पर मतभेद हैं इस मत को प्रमतपामदत करते हुए डॉ मवनयमोहन शमाा मलखते हैं –“ एक मत के अनुसार पररकल्पना तभी मनममात की जा सकती है जब मवर्षय का शोधकाया काफी आगे बढ़ जाता है । क्योंमक शोधकाया के पूवा पररकल्पना की स्पसे कल्पना नहीं हो सकती ।--------------- दूसरा मत – जो पररकल्पना को शोधकाया के पूवा आवश्यक मानते हैं । ये दोनों मत मवर्षय के प्रकार को देखकर मान्य या अमान्य मकए जा सकते हैं । १ पररकल्पना की व्याख्या करते हुए डॉ. मतलकमसंह मलखते हैं –“ शोधकाया में पररकल्पना या प्राक्कथन का शामब्दक अथा है पूवा का कथन अथ ात पहले कहना । शोध काया में प्राक्कथन का अथा है शोध क्षेत्र में प्रवेश की प्रेरिा, मवर्षय मवशेर्ष के प्रमत संस्कार, शोधकाया की प्रमक्रया आमद का उल्लेख । २
प्रश्नावली में कई प्रमतभामगयों ने पररकल्पना की व्याख्या मनम्न रूप से की है –
� पररकल्पना का अथा है समस्या के उत्तर के रूप में प्रस्तामवत अनुमानों को ही पररकल्पना कहा जाता है ।- योगा प्राध्यापक
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Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017